तिरहुत डेस्क (ढाका)
ढाका प्रखंड के सभी जगहों पर इमाम हुसैन के मतवालों ने शांतिपूर्वक ताजिया जुलूस निकाला। ताजिया का जुलूस ढाका नगर और प्रखंड के विभिन्न गांवों से निकलकर या हुसैन के नारों के साथ गांधी चौक ढाका पहुंचा। गांधी चौक पहुंचकर विभिन्न गांव का जुलूस एक विशाल जुलूस में बदल गया। लाठी तलवार और फरसे से अनोखे अनोखे करतब दिखाए। जुलूस में शामिल लोगों ने इमाम हुसैन की शहादत को गमगीन होकर मातमी अंदाज में मरसिया खानी करते हुए याद किया। मौलाना असदुर रहमान तैमी ने कहा कि दसवीं मोहर्रम का दिन किसी त्यौहार का दिन नहीं है। इस्लाम में इनको त्यौहार के तौर पर मनाना गलत है। वहीं यजीद को इमाम हुसैन का कातिल बताना और उन्हें कोसना और गालियां देना यह भी गलत है। इमाम हुसैन की शहादत के जिम्मेदार यजीद नहीं बल्कि इराक के कूफा शहर के लोग थे। गांधी चौक से ताजिया का जुलूस करबला तक पहुंचा। विदित हो कि मोहर्रम जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद थी। अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जुलूस की निगरानी कर रहे थे। सीसीटीवी और ड्रोन कैमरा भी जगह जगह लगा था। ढाका थाना की तमाम पुलिस अलग-अलग जगहों पर मुस्तैद रही। इस बार अनुमंडल पदाधिकारी इफ्तेखार अहमद ने ढाका के बुद्धिजीवियों को मुहर्रम जुलूस के विभिन्न मार्गों की निगरानी के लिए भी नैतिक जिम्मेवारी सौंपी थी, जिनमें सभापति नगर परिषद ढाका मो0 इमतेयाज अख्तर, उप सभपति साजिद अनवर, सशक्त कमिटी के सभी सदस्य, तमाम वार्ड पार्षद, शांति समिति के सदस्य जिनमें डॉक्टर अली अख्तर उर्फ गुड्डू, आदि जुलूस की निगरानी कर रहे थे।