(अब्दुल मोबीन) ढाका नगर में निर्माण अधीन शौचालय टंकी में गिरकर दम घुटने से चार लोगों की मृत्यु से आक्रोशित लोगों द्वारा रेफरल अस्पताल में तोड़ फोड़ और आगजनी, एंव प्रखंड क्षेत्र के फुलवरिया गांव में मोहर्रम के जुलूस पर पथराव को लेकर प्रशाशन द्वारा कर्रवाई किए जाने से नगर सहित प्रखण्ड के लोगों में भय और दहशत फैली हुई है। वैसे तो यह दोनों अलग अलग घटनाएं हैं लेकीन अफसोस कि इन दोनों घटनाओं से प्रभावित या दहशत में अल्प संख्यक समुदाय के लोग ही हैं। यहां हम सबसे पहले ढाका नगर परिषद की घटना का जिक्र करते हैं। दिनांक 18 जुलाई को ढाका नगर परिषद के वार्ड नंबर 25 स्थित एक निर्माणाधीन शौचालय की टंकी में गिरने से चार व्यक्ति की मृत्यु हो गई जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए। घटना ऐसे घटी कि शौचालय की टंकी का सेंटरिंग खोलने गए चार लोग एक के बाद एक टंकी के भीतर गए और बेहोश होकर गिर पड़े। किसी तरह से चारों बेहोश लोगों को टंकी से बाहर निकल गया और ढाका रेफरल अस्पताल में एंबुलेंस के लिए फोन लगाया गया लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंचा किसी तरह लोगों ने उन चारों को ढाका रेफरल अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों के काथनानुसार चारों बेहोश लोगों की मृत्यू हो चुकी थी। वही ग्रामीणों का मानना था कि चारों बेहोश लोग के अंदर रेफर अस्पताल पहुंचने तक जान बाकी थी लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनकी मृत्यु हो गई। परिजनों का कहना था कि जब एंबुलेंस के लिए फोन किया गया तब अस्पताल की तरफ से एंबुलेंस नहीं भेजा गया यह अस्पताल की पहली उदासीनता थी और जब बेहोश लोगों को किसी तरह से रेफरल अस्पताल लाया गया तब डॉक्टर ने उन्हें समय पर ऑक्सीजन नहीं दिया या इलाज नहीं किया जिस कारण उनकी मृत्यु हो गई। मृतकों में 40 वर्षीय ठेकेदार हसनैन अंसारी और उनके चाचा 55 वर्षीय वसी अंसारी, 18 वर्षीय अबुबकर पिता अब्दुल कादिर तीनों लहन ढाका के निवासी, और भलुआहिया निवासी 35 वर्षीय देवेन्द्र प्रसाद यादव हैं। इस घटना से आक्रोशित परिजनों या अन्य लोगों ने रेफरल अस्पताल के अंदर तोड़फोड़ किया और अस्पताल के गाड़ी को आगे कर दिया वहीं पुलिस प्रशासन ने भी आक्रोशित भीड़ को समझने का प्रयास किया लेकिन पुलिस पर भी आकर्षित लोगों ने पथराव किया। वहीं पुलिस या अस्पताल वालों का कहना है कि जब चारों को अस्पताल लाया गया तो वह बेहोश नहीं बल्कि उनकी मृत्यु हो चुकी थी वैसी अवस्था में मृत का क्या इलाज किया जाता। आक्रोशित या प्रशासन की भाषा में उपद्रवियों पर ढाका थाना में डॉक्टर सुधीर कुमार अस्पताल प्रबंधक एवं जांच कमेटी के मॉनिटर प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज कराया गया। एक फिर में 500 अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया। और दूसरे फिर में 54 नामजद और 500 अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया। चार लोगों को अब तक हिरासत में लिया जा चुका है। बाकी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश बना रही है। वही मृतक के परिजन या मृतक के गांव के निवासी या ढाका नगर के अन्य लोगों का मानना है कि घटना के दिन जो तोड़फोड़ और आज जानी हुई उसमें ना परिजन का कोई सदस्य था शामिल था और ना ही गांव के लोग। ऐसा करने वाले कुछ असामाजिक तत्व रहे होंगे। लेकिन एफआईआर सामाजिक तत्व की निशानदेही किए बिना निर्दोष लोगों पर ही कर दिया गया है। एक तो एक ही गांव में एक ही दिन में चार मृत्यु से गांव के लोगों में मातम छाया हुआ था, और अब पुलिस की गिरफ्तारी से लोगों में आक्रोश, भय और दहशत का माहौल है। वही दूसरी घटना की बात करें तो दिनांक 17 जुलाई यानी मोहर्रम के दिन ढाका प्रखण्ड के फुलवारिया गांव में ताजिया जुलूस के दौरान दो समुदाय के बीच का मामला है। ताजिया जुलूस वालों का कहना है कि ताजिया का जुलूस मोहर्रम के दिन जब फुलवरिया मठ के पास पहुंचा तो हिंदू समुदाय के लोगों ने जुलूस पर पतराव करना शुरू कर दिया। वही हिंदू समुदाय का कहना है की जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने मंदिर के समीप आकर उपद्र मचाना शुरू कर दिया। उपद्रव पहले चाहे जिस समुदाय ने मचाया हो तनाव दोनों पक्षों में बन गया जिसको लेकर प्रशासन ने एफआईआर किया। जिसमें 44 लोगों को नामजद और 500 लोगों के अज्ञात में शामिल कर दिया। इस घटना में भी तीन लोगों की गिरफ्तारियां अब तक हो चुकी है बाकी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है। इस तरह से यह दोनों घटना मुस्लिम समुदाय से जुड़ा हुआ है और और इससे प्रभावित भी अल्पसंख्यक समुदाय ही है। कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है कि इन दोनों घटना में प्राथमिकी दर्ज करते समय पुलिस ने न्याय संगत काम नहीं किया है। इन दोनों घटना में पुलिस की कार्रवाई को लेकर ढाका नगर सहित प्रखंड के लोग प्रश्न उठा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस घटना में थाना के अलावा प्रशासन के वरीय अधिकारियों को निष्पक्ष पूर्वक जांच करनी चाहिए। ताकि दोषियों पर सही कार्रवाई हो सके और निर्दोष लोगों को न्याय मिल सके।