तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को प्रदेश के राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर एक पत्र सौंपा और ‘प्रदेश में लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का वातावरण दूर करने के आलोक में’ यथाशीघ्र निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक प्रति प्रदान कर युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान करने की मांग की।
राज्यपाल को सौंपे गये पत्र की प्रति जारी करते हुये राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने दोपहर लगभग सवा दो बजे राज्यपाल रमेश बैस से राजभवन जाकर मुलाकात की ।
मुख्यमंत्री ने उनसे आग्रह किया, ‘‘राज्य में लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का वातावरण दूर करने के लिए’ यथाशीघ्र निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक प्रति प्रदान कर युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाये।’’
उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि ऐसा करने से स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का वातावरण शीघ्र दूर हो सकेगा एवं झारखंड राज्य उन्नति, प्रगति तथा विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सकेगा।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘राज्य के संवैधानिक प्रमुख के नाते संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा में आपसे महती भूमिका की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के मुखिया के रूप में अधोहस्ताक्षरी संविधान एवं कानून के शासन के अनुपालन के लिए कृतसंकल्पित है।’’
मुख्यमंत्री ने पत्र में आरोप लगाया, ‘‘भारत निर्वाचन आयोग के मंतव्य के संबन्ध में मीडिया में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किये जा रहे प्रचार एवं राज्यपाल के कार्यालय से मंतव्य के संबंध में कथित सूचना के छनकर आने से सरकार, कार्यपालिका एवं जनमानस में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है जो राज्यहित एवं जनहित में नहीं है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भारतीय जनता पार्टी भ्रम की इस स्थिति का उपयोग दलबदल के अस्त्र के रूप में कर अनैतिक रूप से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है। भारतीय जनता पार्टी अपने इस अनैतिक प्रयास में कभी सफल नहीं होगी क्योंकि राज्य के गठन के बाद पहली बार हमारी सरकार को दोतिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त है।’’
अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि पांच सितंबर को राज्य की संप्रग सरकार ने विधानसभा बहुमत भी साबित कर चुकी है और विधायकों द्वारा उनके नेतृत्व में पूर्ण निष्ठा एवं विश्वास व्यक्त किया गया है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इसे लिखने के लिए उत्पन्न परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया, ‘‘मुझे झारखंड राज्य में विगत तीन सप्ताह से अधिक समय से उत्पन्न असामान्य, अनपेक्षित एवं दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण इस अभ्यावेदन के साथ आपके समक्ष उपस्थित होने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।’’
उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘फरवरी, 2022 से ही भाजपा द्वारा यह भूमिका रची जा रही है कि मेरे द्वारा पत्थर खनन पट्टा लिये जाने के आधार पर मुझे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया जायेगा। इस संबंध में आपके समक्ष भाजपा ने शिकायत भी दर्ज करायी थी ।’’
इसमें कहा गया है कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेशों के तहत यह स्पष्ट है कि खनन पट्टा लिये जाने से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा नौ ए के प्रावधान के तहत अयोग्यता उत्पन्न नहीं होती है, तथापि इस विषय में मंतव्य हेतु आपके अनुसरण में निर्वाचन आयोग ने सुनवाई की।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग को अपना मंतव्य आपके समक्ष प्रस्तुत करना है और उसके बाद मुझे सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान कर आपको यथोचित कार्रवाई करनी है। भाजपा के नेताओं के सार्वजनिक बयानों से यह प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग ने अपना मंतव्य भाजपा को सौंप दिया है।
मुख्यमंत्री ने इन परिस्थितियों में राज्यपाल से शीघ्र निर्वाचन आयोग के मंतव्य की प्रति उपलब्ध कराने का अनुरोध राज्यपाल से किया है।
ज्ञातव्य है कि पिछले लगभग तीन सप्ताह से राज्य में मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता जाने की आशंका में सरकार के पतन की अफवाहें गर्म हैं जिससे सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिशों का आरोप लगाते हुए अपने तथा कांग्रेस के विधायकों को कुछ दिनों के लिए कांग्रेस शासित पड़ोसी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मेफेयर रिसोर्ट में भी भेज दिया था।
दूसरी तरफ राज्यपाल रमेश बैस के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने राजभवन के सूत्रों को उद्धृत कर लीक की जा रही कथित खबरों को पहले ही दिन सिरे से खारिज कर दिया था और ‘पीटीआई भाषा’ को स्पष्ट बताया था कि राजभवन से किसी ने भी इस मुद्दे पर मीडिया के किसी भी तबके से कोई बातचीत नहीं की है लिहाजा किसी खबर के राजभवन से लीक होने का सवाल ही नहीं उठता है।
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