Monday, April 29, 2024

कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ा, भाजपा को नहीं रास आया बजरंगबली का नारा

(अब्दुल मोबीन)
कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं कांग्रेसमें बहुमत के जादुई आंकड़ा को आसानी से पार कर लिया है और भाजपा अपनी अस्मिता और अपनी गद्दी बचाने में नाकाम साबित हुई है। वहीं जेडीएस को भी वोट प्रतिशत के हिसाब से बड़ा झटका लगा है। 224 सीटों वाले कर्नाटक विधान सभा में 135 सीटें कांग्रेस को, 66 भाजपा को और, 19 जेडीएस और 4 सीटें अन्य को मिली हैं। अब कांग्रेस कर्नाटक में पूरी बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।

कर्नाटक के लोगों ने इस चुनाव में भाजपा और जेडीएस दोनों को तगड़ा झटका दिया है। देश और अन्य राज्यों की तरह इस बार भी भाजपा कर्नाटक में पूरे जोर-शोर के साथ धार्मिक चोला ओढ़कर बजरंगबली का गदा हाथ में लिए जीत का दावा कर रही थी। भाजपा ने हर प्रकार के धार्मिक हथकंडे अपनाए, लेकिन कर्नाटक की जनता ने अपने सही सोच का प्रयोग करते हुए भ्रष्टाचार और धर्म पर आधारित राजनीति का बहिष्कार करते हुए अपना वोट डाला।

इस चुनाव में देश के अल्पसंख्यक कहे जाने वाले मुस्लिम समुदाय ने भी बड़ी सूझबूझ का परिचय देते हुए एकजुटता के साथ भाजपा और जेडीएस दोनों से इतर कांग्रेस को वोट दिया। कर्नाटक के मुसलमानों की एकजुटता ने पूरे देश को यह संदेश दिया कि यदि एकत्रित होकर वोट दिया जाए तो संप्रदायिक ताकतों को सत्ता से हटाया जा सकता है। धर्म की सियासत करने वालों को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।

जैसा कि कर्नाटक की जीत के बाद राहुल गांधी ने कहा कि अब कर्नाटक में नफरत की दुकान बंद हो चुकी है और मोहब्बत की दुकानें खुल चुकी है। वास्तव में उनका यह कथन सही है क्योंकि वहां की जनता ने धर्म की सियासत को मना कर दिया है।

वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक के नतीजे ने पूरे देश को 2024 के लिए एक अच्छा संदेश दिया है। आज देश की सियासत का जो हाल है वह किसी से छुपा नहीं है हर तरफ धर्म की सियासत गरमाई हुई है, विशेषकर केंद्र में विराजमान भाजपा सरकार पूरी तरह धार्मिक मुद्दे पर ही अपनी सियासत कर रही है, लोकसभा हो किसी राज्य का विधानसभा हो या या फिर नगर निकाय हर तरह के चुनाव में भाजपा धार्मिक राजनीति की हवा फैलाकर ही वोटरों को अपनी तरफ लुभाने का काम कर रही है। ऐसे में कर्नाटक वासियों ने जिस तरह से धार्मिक मुद्दों से परे वोट किया है यह अपने आप में बड़ा ही सराहनीय है। और कर्नाटक दूसरे राज्यों के लिए एक बेहतरीन मिसाल पेश कर रहा है।

कर्नाटक में कांग्रेस की इस जीत का कुछ श्रेय राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा को भी जाता है। राहुल गांधी की मेहनत का ही असर है कि 2018 में जहां कांग्रेश को कर्नाटक में 80 सीटें आई थी अब 2023 में जादुई आंकड़ा को पार करते हुए 135 तक पहुंची है।

अब कुछ लोगों का यह मानना है कि कर्नाटक की यह हवा 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ असर डालेगी। आने वाले लोकसभा चुनाव में देश की जनता धार्मिक मामलों से ऊपर उठकर बेरोजगार, भ्रष्टाचार और महंगाई आदि मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वोट करेगी। यदि ऐसा होता है तो विकसित भारत बनाने की और भारतवासियों का एक मजबूत कदम होगा। क्योंकि आज हर कोई उक्त परेशानियों से जूझ रहा है लेकिन धार्मिक राजनीति में हर समुदाय को बहुत हद तक विवश कर दिया है। यदि 2024 में भारत की जनता धर्म को सियासत से अलग रखते हुए भारत की तरक्की और खुशहाली के लिए अपना देती है तभी जाकर समृद्धि भारत का सपना पूरा होगा।

वहीं दूसरी ओर कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस पर जो विश्वास जताया है इससे कांग्रेस के सामने जिम्मेदारी और चुनौतियों का बोझ बढ़ जाता है, कांग्रेस को अब एक नई रणनीति, नई ऊर्जा और पूरी एकजुटता के साथ 2024 की तैयारी में लग जाना होगा।

आज देश में विपक्षी एकता बनाने की जो कोशिशें जारी है उसमें भी कर्नाटक के नतीजों ने सा प्रभाव डालेगी। अब क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस को दरकिनार करते हुए विपक्षी एकता के कवायद पूरे नहीं कर सकती।

Related Articles

Stay Connected

7,268FansLike
10FollowersFollow

Latest Articles