तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जाति आधारित गणना को रोकने संबंधित सारी याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसके बाद बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य अब जारी रहेगा।
पटना उच्च न्यायालय के फैसले का कई दलों ने स्वागत किया है। राजद के नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि “हमारी सरकार के जाति आधारित सर्वे से प्रामाणिक, विश्वसनीय और वैज्ञानिक आंकड़े प्राप्त होंगे। इससे अति-पिछड़े, पिछड़े तथा सभी वर्गों के गरीबों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होगा। जातीय गणना आर्थिक न्याय की दिशा में बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा।”
उन्होंने आगे लिखा कि “हमारी मांग है कि केंद्र सरकार जातीय गणना करवाए। ओबीसी प्रधानमंत्री होने का झूठा दंभ भरने वाले देश की बहुसंख्यक पिछड़ी और गरीब आबादी की जातीय गणना क्यों नहीं कराना चाहते ?”
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि भाजपा सभी संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करती है और किसी भी फैसले का स्वागत करती है। भाजपा शुरू से ही जाति आधारित गणना के पक्ष में रही है और आज भी है। उन्होंने सरकार की नियत पर भी शक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि जातीय गणना से लॉ एंड ऑर्डर कैसे सुधरेगा। इस गणना से स्कूलों के अंदर की अराजकता कैसे मिटेगी। इस गणना से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे सुधरेगी। अब उनके “चला-चली” की बेला है। इस गणना का सही उद्देश्य कल्याण की बात है। लेकिन, इनका लक्ष्य केवल चुनावी लाभ लेना है।
जदयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि यह फैसला दूसरे प्रदेशों के लिए भी नजीर बनेगा। पटना उच्च न्यायालय ने गणना को रोकने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर गणना का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य देश में नजीर पेश करेगा।
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