Wednesday, May 15, 2024

सुधाकर सिंह एंव चंद्रशेखर की टिप्पणी क्या महागठबंधन की टूट कारण बन सकती है?

(अब्दुल मोबीन)। राजद के विधायक और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह द्वारा लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अभद्र टिप्पणी करना, नीतीश कुमार का विरोध करना और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह द्वारा धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले विवादित बयानों से महागठबंधन में दरार पड़ने लगी है और सियासी जानकार की माने तो यह दरार टूट का कारण भी बन सकता है। एक तरफ सुधाकर सिंह कभी नीतीश कुमार को शिखंडी कहते हैं तो कभी उन्हें टेकुआ की तरह सीधा करने की बात कहते हैं। तो दूसरी तरफ रामचरितमानस को लेकर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह द्वारा दिया गया बयान बिहार के सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है, इसी बीच विवादों में घिरे बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने सोमवार को अपने ट्विटर एकाउंट पर कुछ ऐसा लिखा जिसको लेकर महागठबंधन का सियासी पारा कुछ ज्यादा ही चढ़ गया है।

शिक्षा मंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर “बुनियादी संसाधन, उचित पाठन, शिक्षित बिहार, तेजस्वी बिहार” लाइन पोस्ट किया है। ट्विटर के इस पोस्ट के बाद कुछ लोगों का मानना है कि शिक्षा मंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बड़ा नेता बता रहे हैं। इसके चंद सेकेंड बाद जेडीयू के बेबाक नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने जवाब दिया। नीरज कुमार ने अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से लिखा “बढ़ता बिहार, नीतीश कुमार, ट्विटर की नहीं काम की सरकार, शिक्षित कुमार, शिक्षित बिहार”। अब नीरज कुमार द्वारा शिक्षित कुमार शिक्षित बिहार शब्दों को देखें तो ऐसा लगता है के एक तरह से नीरज ने तेजस्वी के अशिक्षित होने की ओर भी इशारा कर दिया है। राजद के इन दो नेताओं की टिप्पणियों के बाद अब जीतन राम मांझी की टिप्पणी ने भी इस मामले को और गरमा दिया है। मांझी ने पूरे गठबंधन को ही चैलेंज कर दिया। जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अभद्र टिप्पणी करके सुधाकर सिंह ने साबित कर दिया है कि भले ही वह राजद में हों, पर उनकी आत्मा आज भी अपने पुराने दल भाजपा के साथ ही है। ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल की जवाबदेही बनती है कि अविलंब सुधाकर सिंह पर कारवाई करें, यही गठबंधन धर्म का पालन होगा”। उसके तुरंत बाद मांझी ने यहां तक कह दिया कि गठबंधन ऐसे नहीं चलेगा। तेजस्वी यादव को सुधाकर सिंह पर कार्रवाई करनी होगी और गठबंधन चलाने के लिए एक कमेटी का गठन करना भी जरूरी है।

जीतन राम मांझी का बयान जैसी ही मीडिया की सुर्खी बना, महागठबंधन के अंदर बयान देने की बाढ़ सी आ गई। हालांकि मांझी से पहले सुधाकर के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देने का काम जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कर दिया था। उपेंद्र कुशवाहा ने तो बकायदा तेजस्वी के नाम सोशल मीडिया पर पत्र ही जारी कर दिया। उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा- “तेजस्वी यादव जी, जरा गौर से देखिए-सुनिए अपने एक माननीय विधायक के बयान को और उन्हें बताईए कि राजनीति में भाषाई मर्यादा की बड़ी अहमियत होती है। वे उस शख्सियत को शिखंडी कह रहें हैं जिन्होंने बिहार को उस खौफनाक मंजर से मुक्ति दिलाने की मर्दानगी दिखाई थी, वह भी तब जब उसके खिलाफ कुछ भी बोलने से पहले लोग दाएं-बाएं झांक लेते थे। ऐसे बयानों से प्रदेश की लाखों-करोड़ों जनता एवं वर्तमान जद (यू) और तत्कालीन समता पार्टी के उन हजारों कार्यकर्ताओं की भावना को चोट पहुंचती है जिन्होंने उस दौर में नीतीश कुमार जी का साथ-सहयोग दिया, कुर्बानी दी। सुधाकर जी को बताईए, कम से कम बिहार को उस खौफनाक मंजर से बाहर निकालने जैसे मर्दानगी भरे कार्यों के लिए तो‌ नीतीश कुमार जी को बिहार का इतिहास निश्चित ही याद करेगा”। उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि “तेजस्वी जी आप अपने नेताओं पर कार्रवाई करें, यही गठबंधन और आपके लिए मुनासिब होगा”।

सियासी जानकार मानते हैं कि इस प्रतिक्रिया में उपेंद्र कुशवाहा ने “संबंधों” की सारी सीमा पार कर दी। उपेंद्र कुशवाहा ने एक तरह से लालू राज पर अटैक किया। बिहार के पूर्व शासनकाल पर टिप्प्णी की। अंत वाली लाइन पर उपेंद्र कुशवाहा तेजस्वी और आरजेडी को धमकाते हुए नजर आए। सियासी जानकार मानते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा को इस बात को सार्वजनिक तौर पर नहीं लिखनी चाहिए थी। उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान को राजद नेताओं ने अपने नेता का अपमान समझा। उसके बाद दोनों तरफ से खुलकर बयानबाजी होने लगी। जानकारों ने बताया कि जेडीयू का एक गुट तेजस्वी को देखना नहीं चाहता है। ऊपर से उसे नीतीश कुमार से बहुत कमतर करके आंका जाता है। जिसकी वजह से आरजेडी के नेता नाराज रहते हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने जो अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, उससे महागठबंधन में तल्खी और बढ़ गई। आरजेडी नेता भी प्रतिक्रिया देने लगे।

अभी उपेंद्र और जीतन राम मांझी के बयान सियासी गरमाहट बढ़ा ही रहे थे कि अचानक जेडीयू के एक नेता ने लक्ष्मण रेखा लांघ दी। जेडीयू के एमएलसी रामेश्वर महतो ने सुधाकर सिंह को चेतावनी देते हुए कहा कि संभल जाएं। नीतीश कुमार को लेकर किसी तरह का बयान वे लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम लोग अपने नेता के मना करने के बाद चुप-चाप हैं। इसका मतलब ये नहीं कि हमारे नेता पर कोई कुछ भी बोल दे। हमलोग वक्त आएगा तो जीभ खींचने से भी पीछे नहीं हटेंगे। जानकारों की मानें तो जेडीयू नेताओं के ये बयान बिना ऊपर के इशारे के नहीं आ रहे थे। इसमें जेडीयू के वरीय नेताओं की सहमति थी। हालांकि, इस दौरान तेजस्वी ने बात को संभालने की चेष्टा की। तेजस्वी यादव ने कहा कि सुधाकर सिंह ने साफ तौर पर जो बोला वो आप सब जानते हैं। लेकिन जो भी महागठबंधन के नेतृत्व और निर्णयों पर सवाल उठाएंगे उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू जी के संज्ञान में पूरा मामला है, ऐसे बयान देने वाले लोग बीजेपी की नीतियों को समर्थन देते हैं। तेजस्वी के बयान के बाद यह मामला थोड़ा ठंडा पड़ता दिखा।

सुधाकर सिंह के बयान को लेकर तो नीतीश कुमार ने कहा था कि मैं इस तरह की बातों को नोटिस नहीं लेता। लेकिन शिक्षा मंत्री के बयान के बाद नीतीश कुमार ने सफाई दी और कहा कि इन सब मामलों में कोई विवाद नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म मानने वाला हो, उसमें किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। जिसको जो मन करे वही पूजा करे, वही पालन करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब फालतू चीजें हैं। धर्म के मामले में किसी को किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हिंदू मुस्लिम, सिख, इसाई कोई भी धर्म हो, किसी को भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह सही बात नहीं है। जिन्होंने इस तरह की बातें कहीं है उनको उपमुख्यमंत्री ने भी कह ही दिया है। जिसको जैसे मन करता है वो वैसे पूजा करता है। लेकिन लेकिन जैसे-जैसे महागठबंधन में जदयू और राजद के नेताओं द्वारा एक दूसरे पर टिप्पणी की जा रही है वैसे वैसे महागठबंधन का सियासी माहौल गर्म होता जा रहा है। और इन सब मामलों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नाराज दिख रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अब इस मामले से नाराज चल रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां तक कह दिया कि मैंन अपनी नाराजगी से लोगों को अवगत करा दिया है। नीतीश के इस बयान से साफ हो जाता है कि वह भी दोनों तरफ की टिप्पणी से खुश नहीं हैं, क्योंकि इन सब मामलों से नुकसान जदयू और राजद दोनों को होगा। और यह नुकसान गठबंधन में टूट का कारण भी बन सकता है। यदि ऐसा हुआ तो एक तरफ जहां राजद सत्ता से बाहर हो जाएगी वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक ऐसा भद्दा दाग लगेगा जो शायद सियासी इतिहास में किसी मुख्यमंत्री के साथ ना लगा हो। सभी जानते हैं कि अभी मात्र 3 महीने ही हुए हैं जब नीतीश कुमार भाजपा से अलग होकर महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाया है। इसको लेकर पलटू का जो टाइटल नीतीश कुमार क्या पीछा कर रहा है अब उस टाइटल के कारण कोई भी सियासी पार्टी नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं कर सकती।

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