Friday, April 26, 2024

बिहार उपचुनाव: महागठबंधन में टूट का आरजेडी को उठाना पड़ा खमियाजा, कांग्रेस के लिए भी स्थिति मुश्किल

तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार उपचुनाव में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीटों के परिणाम ने बिहार की सियासत में कई सवालों के जवाब दे दिए। इस चुनाव में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जहां एकजुट होकर दोनों सीटों पर फिर से कब्जा जमा लिया, वहीं महागठबंधन तोडकर अपने-अपने प्रत्याशी देने वाले राजद और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। राजद और कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण महागठबंधन में बिखराव को माना जा रहा है।

राजद दोनों सीटों पर दूसरे नंबर पर पहुंचकर अपनी साख बचाने में जरूर कामयाब हो गई, लेकिन कांग्रेस की बड़ी हार हो गई।

कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने तेजतर्रार वक्ता कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल को प्रचार के लिए चुनावी मैदान में उतार दिया। उधर, जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव का भी समर्थन प्राप्त कर अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, फिर भी वह अपनी पुरानी जमीन तलाशने में असफल नजर आई।

कहा जा रहा है कि कुशेश्वरस्थान में सहानुभूति की लहर के साथ राजग की रणनीति के कारण जदयू प्रत्याशी अमन भूषण हजारी विजयी हुए। पिछले साल हुए विधानसभा आम चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी, लेकिन इस उपचुनाव में फिसल कर चौथे नंबर पर आ गई। लोजपा (रामविलास) यहां तीसरे स्थान पर रही।

इसी तरह तारापुर सीट के परिणाम पर गौर करें तो यहां राजद और जदयू के प्रत्याशी में कड़ी टक्कर देखने को मिली। यहां से जदयू के प्रत्याशी को 78,966 मत मिले तो राजद के अरूण कुमार साह को 75,145 वोट पर संतोष करना पडा।

तारापुर से कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्र को मात्र 3590 मत पर ही सिमट गए। गौरतलब है कि मिश्र पिछला चुनाव बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्हें 10 हजार से अधिक वोट मिले थे। इधर, कांग्रेस के नेता अब इस चुनाव परिणाम को लेकर रणनीति पर ही सवाल उठाने लगे हैं।

बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार भी मानते हैं कि महागठबंधन में बिखराव और स्थानीय नेताओं को महत्व और सम्मान नहीं देना इस हार का मुख्य कारण रहा।

उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव में गुजरात से आए युवा जिग्नेश और हार्दिक पटेल को स्टार प्रचारक बनाया। सवाल है कि बिहार का वोटर इनके किस कार्य से प्रेरित होकर इनके पीछे होगा? उन्होंने कहा कि इससे पार्टी के अंदर की युवा लीडरशिप हतोत्साहित हो गया। बहुत साफ है कि इन दोनों की जगह कांग्रेस के ही दो बिहारी युवाओं को अगर आगे रखते तो लीडरशिप विकसित होती।

उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं से न ज्यादा कोई सियासी समझ रखता है न जनता के सामने प्रभावी बात कर सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार कांग्रेस को इस इवेंट मैनेजमेंट से आगे निकलना होगा। कांग्रेस के नेता ललन कुमार कहते हैं, अपने प्रदेश के युवाओं की उपेक्षा कर बेवजह किसी दूसरे प्रदेश के युवा की महिमामंडन से आखिर में पार्टी का ही नुकसान होना है।

इधर, जदयू के नेता इसे जीत को महागठबंधन के बिखराव की चजह नहीं मानते हैं। जदयू के नेता और राज्य के मंत्री संजय कुमार झा कहते हैं कि महागठबंधन में फूट का कोई लाभ राजग को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में न्याय के साथ विकास की जीत हुई है। सभी वर्गों और तबको के लोगों ने राजग सरकार पर भरोसा जताया।

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