Wednesday, May 8, 2024

बिहार सरकार ने जारी किया जातीय जन गणना रिपोर्ट, भाजपा में बोखलाहट

(अब्दुल मोबीन)
बिहार सरकार ने भाजपा के विरोध और न्यायालय के कई पेचीदगियों के बावजूद जातीय जन गणना का जो काम पूरा किया था आज सोमवार को उसकी रिपोर्ट भी साझा कर दी है। बिहार सरकार के एडिशनल सेक्रेटरी विवेक कुमार सिंह जो अभी मुख्य सचिव के अतिरिक्त प्रभार में हैं उन्होंने बिहार के जातीय जन गणना की रिपोर्ट जनता के सामने साझा करते हुए कहा कि बहुत सारी उलझनों और अर्चनों के बावजूद बिहार सरकार ने युद्ध स्तर पर जन गणना का काम पूरा किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 10 है। विदित हो कि यह जन गणना नीतीश कुमार के अंथक प्रयासों के कारण ही संभव हो पाया है। ज्ञात हो कि जातीय जनगणना के जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक राज्य में सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सवर्ण एक तरह से काफी कम आबादी में सिमट गए हैं।
फीसद के हिसाब से सभी जातियों के आंकड़े:
आबादी के हिसाब से अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी है जिसकी संख्या 4,70,80,514 है। वहीं पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी है जिनकी तादाद 3,54,63,936 है। जबकि अनुसूचित जाति के 19.6518% हैं, इनकी आबादी 2,56,89,820 है। अनुसूचित जनजाति की आबादी 21,99,361 है जो कि कुल आबादी का 1.6824% है। अनारक्षित यानी जनरल कास्ट जिसे सवर्ण भी कह सकते हैं उनकी आबादी 2,02,91,679 है, ये बिहार की कुल आबादी का 15.5224 प्रतिशत है।
कुछ खास वर्गों के आंकड़े:
यादव- 14. 2666 फीसदी, कुर्मी- 2.8785 फीसदी
कुशवाहा- 4.2120 फीसदी, ब्राह्मण- 3.6575 प्रतिशत
भूमिहार- 2.8683 प्रतिशत, राजपूत- 3.4505 प्रतिशत
मुसहर- 3.0872 प्रतिशत मल्लाह- 2.6086 फीसदी
बनिया- 2.3155 फीसदी कायस्थ- 0.60 फीसदी
धर्म के हिसाब से बिहार की आबादी:
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सर्वाधिक संख्या हिंदुओं की हैं. बिहार में 107192958 लोग हिन्दू धर्म के हैं. यानी बिहार की कुल आबादी में 81.9 प्रतिशत हिंदू हैं. वहीं दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह मुसलमानों का है. राज्य में 23149925 लोग इस्लाम धर्म के मानने वाले हैं। मुसलमानों की आबादी 17.7 प्रतिशत है। इसाई 0.05 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.009 प्रतिशत हैं. 2146 लोगों ने बताया है कि वो किसी धर्म को नहीं मानते।
विदित हो कि इस रिपोर्ट में नीतीश सरकार ने कुल 215 जातियों का आंकड़ा जारी किया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछड़ा, अति पिछड़ा और अनुसूचित जातियों की कुल आबादी 82 फीसदी से ज्यादा है, जबकि मात्र 15.5 फीसदी ही सामान्य जाति के लोग हैं, अब इस आंकड़े के बाद सामान्य वर्गों की सियासत करने वालों में खलबली मची हुई है। वहीं लोक सभा चुनाव भी सर पर है ऐसे में भाजपा के लिए यह जन गणना कुछ कठिनाइयां जरूर पैदा करेगा। जिसको लेकर भाजपा के कई नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी है। वहीं नितीश कुमार इस कार्य को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं, जो वास्तव में है भी। वहीं तेजस्वी यादव जो इस जन गणना के पक्षधर थे और इसे कराने के लिए सड़क से सदन तक आवाज उठा रहे थे उन्हें भी आगामी चुनाव में इसका फायदा मिलेगा।

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