Monday, April 29, 2024

सम्राट चौधरी की आक्रमक राजनीति रंग लाई, भाजपा ने बनाया बिहार प्रदेश अध्यक्ष

(अब्दुल मोबीन) 2024 लोकसभा और 2025 बिहार विधानसभा चुनावों में बिहार प्रदेश में अपनी मजबूती बनाने के नजरिए से भारतीय जनता पार्टी ने सांसद संजय जायसवाल की जगह विधान पार्षद सम्राट चौधरी को बिहार प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। कहा जा रहा है कि सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे देश के गृह मंत्री अमित शाह का हाथ है, सम्राट चौधरी शाह के नजदीकी माने जाते हैं।

लेकिन क्या मात्र शाह के करीबी होने की वजह से सम्राट चौधरी को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है या फिर पिछले कई सालों से लगातार सम्राट चौधरी के बयानों को देखते हुए उन्हें पद सौंपा गया है, क्यूंकि सम्राट चौधरी लगातार विपक्ष पर हमलावर रहते हैं, बीजेपी की राजनीतिक धुरी का पूरी तरह प्रयोग करते हैं, जाति धर्म जैसे जोशीले शब्द सम्राट चौधरी के आक्रामक राजनीति का मुख्य आधार हैं, आज देश सहित बिहार में भी वोटर का एक बड़ा तबका उनके बयानों से आकर्षित होता है, शायद इसीलिए भाजपा ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है। यही नहीं 2025 बिहार विधान सभा के लिए भाजपा की ओर से मुख्य मंत्री का चेहरा भी सम्राट चौधरी ही होंगे।

ज्ञात हो कि सितंबर 2022 में अमित शाह किशनगंज के दौरे पर आये थे, जहां मीडिया से अनौपचारिक बात करते हुए अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी बिहार में पुरानी परंपरा को तोडेगी। अब तक बीजेपी की ये परंपरा रही है कि वह चुनाव से पहले सीएम पद का दावेदार घोषित नहीं करती थी। लेकिन इस बार बिहार में अगले विधानसभा चुनाव से पहले सीएम पद का चेहरा घोषित कर दिया जायेगा। शाह ने कहा था कि 2024 में ही उनकी पार्टी बिहार में सीएम पद का चेहरा घोषित कर देगी। उसी दौरान शाह ने ये एलान किया था कि 2025 तक बिहार में बीजेपी के कामकाज की वे खुद निगरानी करेंगे। सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनना इस बात को मजबूत इशारा है कि सम्राट ही अगले चुनाव में मुख्य मंत्री के दावेदार हैं।

सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए बीजेपी ने अपनी कई परंपरायें भी तोडी। सम्राट चौधरी सिर्फ पांच साल पहले पार्टी में आये हैं, 2018 में उन्होंने बीजेपी ज्वायन किया था। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बीजेपी या आरएसएस से जुड़ी नहीं रही है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर पार्टी और संगठन से जुड़े पुराने नेताओं को ही बिठाती रही है। लेकिन सम्राट चौधरी के लिए वह परंपरा तोड़ी गयी है.

सम्राट चौधरी को अध्यक्ष बनाने का मकसद:
सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर हसवाल ये उठ रहा है कि सम्राट चौधरी ही भाजपा आलाकमान की पहली पसंद क्यों हैं। इसका पहला कारण है जातीय समीकरण। सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से आते हैं। यही वोट बैंक है जिसके सहारे नीतीश कुमार की राजनीति फली फूली। नीतीश का आधार वोट लव-कुश समीकरण ही माना गया. लव यानि कुर्मी और कुश यानि कुशवाहा। लेकिन हालिया दिनों में कुशवाहा जाति का नीतीश से मोहभंग होने लगा है। उपेंद्र कुशवाहा की बगावत के बाद कुशवाहा तबके की नाराजगी खुल कर सामने आयी है। भाजपा ये चाह रही है कि कुशवाहा जाति के वोटर नीतीश का साथ छोडे तो कहीं और ना जाकर बीजेपी के पास आएं। बिहार में किस जाति की कितनी तादाद है इसका कोई प्रमाणिक आंकड़ा फिलहाल नहीं है. लेकिन माना यही जाता है कि मुसलमान और यादव के बाद कुशवाहा जाति के वोटरों की संख्या ही बिहार में सबसे ज्यादा है। अगर कुशवाहा जाति के वोटर पूरी तरह बीजेपी के पास आ जाते हैं तो बिहार का सारा सियासी समीकरण ही बदल जायेगा। भाजपा नेतृत्व मान रहा है कि सम्राट चौधरी में वह क्षमता है कि अपनी जाति के वोटरों को पार्टी के साथ जोड़ सकते हैं।

सम्राट के बयानों में आक्रामकता:
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि सम्राट चौधरी के बयानों में काफी आक्रामकता पाई जाती है, जो बीजेपी के सियासी मन सुबह से काफी मेल खाती है। भाजपा यह देख रही है कि इस समय में यदि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को आक्रमक तेवर कोई यदि दिखा सकता है वह सम्राट चौधरी ही हैं, 2018 में विधान परिषद का सदस्य चुने जाने के बाद से ही सम्राट चौधरी आक्रामक बयानों के लिए जाने जाते हैं। सम्राट चौधरी की आक्रामक राजनीति भी पार्टी आलाकमान को पसंद आ रही है। वहीं बीजेपी इन दिनों बिहार में नेतृत्व की कमी से जूझ रही है। ऐसे में बिहार में सम्राट चौधरी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जो अपने बयानों के चलते सक्रिय माने जाते हैं। और कुछ जातीय समीकरण भी उनका साथ दे रही है। सम्राट चौधरी लगातार नीतीश और तेजस्वी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, और सम्राट चौधरी का यह रवैया पार्टी को पसंद भी आ रहा है।

अब तो यह तय माना जा रहा है कि 2025 में बीजेपी बिहार की सत्ता में आती है तो सम्राट ही सीएम बनेंगे। क्योंकि महाराष्ट्र, त्रिपुरा, असम जैसे राज्यों में जो हुआ वह इसकी मिसाल है। महाराष्ट्र में 2013 में बीजेपी ने देवेंद्र फडनवीस को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने 2014 में महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव लड़ा और जब जीत हुई तो फडनवीस ही मुख्यमंत्री बनाये गये। त्रिपुरा में 2016 में बिप्लव कुमार देव को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 2018 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी त्रिपुरा में सत्ता में आयी तो बिप्लव कुमार देव को ही मुख्यमंत्री बनाया गया। सर्बानंद सोणोवाल को असम का प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के बाद पार्टी के सत्ता में आने पर उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया गया। अब बिहार में भी कुछ ऐसा ही होने की उम्मीद है। यदि भाजपा बिहार में 2025 के चुनाव में बहुमत का आंकड़ा छूती है तो यह है कि सम्राट चौधरी ही मुख्यमंत्री के दावेदार होंगे।

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