Thursday, April 25, 2024

नगर निकाय के अंतिम चरण के लिए मोतिहारी में शांतिपूर्वक हुआ मतदान, मोतिहारी में 51.45 और अरेराज में 65.53 प्रतिशत पड़े वोट

तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 के द्वितीय और अंतिम चरण के लिए पूर्वी चंपारण के दो निकायों मोतिहारी नगर निगम और अरेराज नगर पंचायत में शांतिपूर्वक मतदान बुधवार को सम्पन्न हो गया है। सभी प्रत्याशियों की किस्मत मतदाताओं ने ईवीएम में बंद कर दिया है। ईवीएम में बन्द किस्मत का ताला 30 दिसंबर को खुलेगा, तब पता चलेगा कि कौन बना राजा और कितने रह गए रंक। किसके सर पर चढ़ा ताज और किसके पांव तले खिसकी जमीन। विदित हो कि मोतिहारी नगर निगम के 46 वार्डों के वार्ड सदस्य के अलावा मोतिहारी निगम के मेयर और उपमेयर के लिए मतदान हुआ। जिसके लिए 215 मतदान केंद्र बनाये गए थे।
खराब मौसम के कारण मोतिहारी नगर निगम में 51.45 प्रतिशत ही मतदान हुआ, वहीं अरेराज में मतदान प्रतिशत 65.53 रहा। मतदान के दौरान सभी बूथों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम देखे गए।

यह अलग बात है कि नगर निकाय का यह चुनाव पार्टी स्तर पर नहीं हुआ लेकिन 1 से 3 नंबर के सभी प्रत्याशियों को परदे के पीछे से ही सही किसी न किसी पार्टी या बड़े नेताओं का समर्थन जरूर हासिल रहा।

मोतिहारी नगर निगम के मेयर पद की लड़ाई इस बार बहुत ही दिलचस्प नजर आयी। एक ही पार्टी के 2 बड़े नेताओं ने अपना समर्थन दो अलग-अलग प्रत्याशियों को दिया था। जिले के वरिष्ठ और कद्दावर नेता राधा मोहन सिंह ने पर्दे के पीछे से पूर्व चेयरमैन प्रकाश अस्थाना को अपना समर्थन दिया था। वहीं ढाका विधायक पवन जायसवाल ने देवा गुप्ता के लिए जी जान लगाया। और राधा मोहन सिंह एंव पवन जायसवाल दोनों ही भाजपा के नेता हैं, एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान लोकसभा सांसद, तो दूसरे दो बार के विधायक। दोनों ने निकाय चुनाव के पूरे प्रचार काल में अपने अपने प्रत्याशियों के लिए खूब सभाएं की। एक का प्रयास जिले में अपना सियासी दबदबा कायम रखने का है तो दूसरा उस पुराने सियासी वर्चस्व को उखाड़ फेंकना चाहता है। पवन जायसवाल देवा गुप्ता के लिए वैश समाज को एकत्रीत करने में लगे थे। तो राधा मोहन सिंह प्रकाश अस्थाना के लिए ब्राह्मण, राजपूत समेत अन्य बड़ी जातियों को एकजुट कर रहे थे। अब कौन कितना सफल होगा यह तो 30 दिसंबर को ही तय होगा। लेकिन मतदान के बाद प्रतिशत के आंकड़ों को देख कर ऐसा लगता है कि पुराने मेयर का पलडा भारी पड़ेगा, क्यूंकि मतदान प्रतिशत में कमी बदलाव का संकेत नहीं है।

भाजपा के दो नेताओं की इस लड़ाई को कुछ लोग अस्तित्व की लड़ाई भी मान रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यदि राधा मोहन सिंह का समर्थन रंग लाता है तो पवन जायसवाल के लिए मोतिहारी की सियासत कठिन हो जाएगी। इसके विपरीत यदि पवन जयसवाल की मेहनत रंग लाती है तो राधा मोहन सिंह का किला ढहने की आशंका है। अब इसका निर्णय समय ही करेगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है।

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