तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को लगातार पांचवें दिन हिजाब विवाद से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। याचिकाकर्ताओं के वकील मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने से कक्षाओं में प्रतिबंधित करने वाले अंतरिम आदेश को हटाने को लेकर दलीलें पेश कर रहे हैं। वकीलों ने तर्क दिया है कि सरकार मुस्लिम छात्रों को लक्षित करने के लिए अदालत द्वारा जारी अंतरिम आदेश का दुरुपयोग कर रही है।
दूसरी ओर, कर्फ्यू के आदेशों के बीच कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति की मांग को लेकर छात्रों ने शिवमोग्गा जिले में जिला आयुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया। जिला आयुक्त डॉ. आर. सेल्वामणि ने छात्रों से मुलाकात की और उनसे ज्ञापन प्राप्त किया।
न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन के साथ ही मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अभी तक अनुरोध को स्वीकार नहीं किया है। याचिकाकर्ताओं द्वारा यह प्रार्थना करते हुए अंतरिम आदेश को वापस लेने का दबाव बनाने की संभावना है कि मुस्लिम छात्रों को हिजाब पहनने को लेकर स्कूलों से वापस भेज दिया गया है। सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि अगर अनुरोध पर विचार किया जाता है तो यह याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करने जितना ही अच्छा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत, रविवर्मा कुमार और युसूफ मुच्छला ने बुधवार को अपना पक्ष रखा था और अपनी दलीलें पूरी कर लीं थीं। इस बीच, हिजाब पहनने पर कक्षा में दाखिल नहीं होने देने पर सबसे पहले विरोध शुरू करने वाली उडुपी की छह छात्राओं ने अंतिम आदेश तक कॉलेज से अनुपस्थित रहने का फैसला किया है।
इस बीच हासन में करीब 340 छात्र-छात्राओं ने हिजाब के समर्थन में तख्तियां लिए सड़क जाम कर दिया और उन्हें संभालने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। डीएसपी ने कार्रवाई की चेतावनी दी जिसके बाद वे तितर-बितर हो गए। बेल्लारी के सरलादेवी कॉलेज में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है, क्योंकि हिजाब पहनकर आई छात्राओं ने कॉलेज और पुलिस अधिकारियों के कई अनुरोधों के बाद भी वापस जाने से इनकार कर दिया है। इन छात्राओं के साथ उनके माता-पिता भी साथ आए हैं और वे वहीं पर डटे हुए हैं।