(अब्दुल मोबीन)
बिहार की सियासत में बड़ा घमासान मचा हुआ है आगामी 12 फरवरी को बिहार में फ्लोर टेस्ट होना है। एक तरफ नीतीश कुमार और उनके नए सहयोगी भाजपा वाले किसी भी हाल में फ्लोर टेस्ट पास करना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी और लालू प्रसाद यादव नीतीश कुमार के सियासी दांव पेंच को पटखनी देने की तैयारी में जुटे हैं।
तेजस्वी यादव ने अपने सभी विधायकों को अपने आवास पर ही कैद करके रखा हुआ है ताकि उनका कोई भी विधायक किसी भी दल के बहकावे में ना आ सके। और तेजस्वी के साथ खड़ा लेफ्ट मोर्चा भी पूरी तरह तेजस्वी के पक्ष में मुस्तैद है। वहीं कांग्रेस विधायकों में भी किसी प्रकार के टूट फूट की खबर नहीं है। लेकिन इन सब के बावजूद तेजस्वी बहुमत के आंकड़ा को छूते हुए दिखाई नहीं देते तब तक जब तक कि जीतन राम मांझी या फिर जदयू का कोई विधायक टूटकर तेजस्वी के पक्ष में नहीं आ जाता।
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी पूरी मुस्तादी के साथ अपने विधायकों को संभाले हुई है। लेकिन जदयू विधायक दल की बैठक जो शनिवार को मंत्री श्रवण कुमार के आवास पर हुई उसमें जदयू के पांच विधायकों का शामिल न होना जदयू के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
वहीं लेफ्ट के दो नेताओं का जीतन राम मांझी से मुलाकात करना भी नितीश कुमार के लिए दर्द सर बना हुआ है। यह अलग बात है कि अब तक जीतन राम मांझी पूरी तरह बीजेपी और नीतीश कुमार के साथ रहने की बात कह रहे हैं। लेकिन यह तो सियासी मामला है कौन कब किसके साथ चल जाइए कहना बड़ी मुश्किल है।
12 फरवरी यानि सोमवार को बिहार में फ्लोर टेस्ट होना है जिसमें नीतीश कुमार को अपनी बहुमत साबित करनी है। यदि नीतीश की पार्टी में कोई टूट नहीं होती है तो ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार का फ्लोर टेस्ट पास करना आसान होगा। यदि नीतीश के विधायक टूटते हैं या फिर जीतन राम मांझी उनके साथ छल करते हैं तो फिर ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार के लिए फ्लोर टेस्ट पास करना बड़ा कठिन हो जाएगा।
अब यह तो समय ही तय करेगा की नीतीश इस इम्तिहान में पास होते हैं या फिर तेजस्वी यादव अपनी कुछ सियासी योग्यताएं साबित करने में कामयाब होते हैं। साथ ही साथ यह भी देखना दिलचस्प होगा कि लालू प्रसाद यादव का तजुर्बा उनकी पार्टी के लिए कितना काम आता है।