तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को एक उच्च स्तरीय जम्मू-कश्मीर सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं, जो केंद्र शासित प्रदेश में निर्वाचित सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बैठक होगी।
बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी, सीएपीएफ के प्रमुख और आतंकवाद विरोधी ग्रिड से जुड़े अन्य लोग हिस्सा लेंगे।
बैठक में विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद हुए आतंकवादी हमलों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए सुरक्षा और कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
20 अक्टूबर को दो आतंकवादी, एक विदेशी भाड़े का आतंकवादी और एक स्थानीय आतंकवादी, गंदेरबल जिले के गगनगीर इलाके में एक कंपनी के श्रमिक शिविर में घुस गए और अंधाधुंध गोलीबारी की थी।
इस हमले में कंपनी के छह श्रमिकों और एक स्थानीय डॉक्टर सहित सात नागरिक मारे गए।
24 अक्टूबर को आतंकवादियों ने गुलमर्ग के बोटापथरी इलाके में एक सैन्य वाहन पर हमला किया था, जिसमें तीन सैनिक और दो नागरिक कुली मारे गए थे।
2 नवंबर को आतंकवादियों ने श्रीनगर में टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर (टीआरसी) के पास व्यस्त संडे मार्केट में एक शक्तिशाली हैंड ग्रेनेड फेंका था। इस विस्फोट में 3 बच्चों की मां 42 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी और 9 लोग घायल हो गए थे।
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि सीमा पार बैठे आतंकवाद के आका जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण, जनता की भागीदारी वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से हताश हो गए हैं इसलिए वो नापाक कोशिश कर रहे है।
2019 में आतंकवादी हमलों में 50 नागरिक मारे गए थे, जबकि इस साल अब तक 14 लोग मारे गए हैं।
आंकड़ों को छोड़ दें तो 2019 के बाद आतंकवाद का जोर गैर-स्थानीय विदेशी भाड़े के सैनिकों पर रहा है, जबकि स्थानीय युवा बड़े पैमाने पर आतंकवादी रैंकों में शामिल होने से दूर हो गए हैं।
यह भी पढ़े: मोहन भागवत का बड़े परिवार का आह्वान बहुत सामयिक है