तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। पटना उच्च न्यायालय ने पॉंच सितारा होटल बनाने के लिए ऐतिहासिक सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने के बिहार सरकार के फैसले को लेकर उससे (राज्य सरकार से) जवाब मांगा है। साथ ही, अदालत ने 100 साल पुरानी इस इमारत को ध्वस्त किये जाने पर रोक लगा दी।
सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने के खिलाफ याचिका दायर करने वाले वकील के मुताबिक, अदालत ने बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद द्वारा वर्ष 1922 में निर्मित कराये गए इस इमारत को गिराने पर रोक लगाने का आदेश शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने के दौरान दिया।
पैलेस को ध्वस्त करने के खिलाफ पटना के एक युवा वकील ने जनहित याचिका दायर की थी और यह मामले की पहली सुनवाई थी। उनकी ओर से वकीलों की एक टीम अदालत के समक्ष उपस्थित हुई।
अदालत में पेश हुई वकीलों की टीम में शामिल एक अधिवक्ता ने बताया कि पटना स्थित सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने के बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ ‘अमरजीत बनाम भारतीय संघ’ शीर्षक से यह याचिका दायर की गई।
सुल्तान पैलेस को परिवहन भवन के तौर पर जाना जाता है।
अधिवक्ता ने बताया, ‘‘मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की पीठ ने सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने पर रोक लगा दी है।’’
अदालत ने बिहार सरकार को इस बारे में जवाब देने को कहा है कि उसने 100 साल पुरानी धरोहर इमारत ध्वस्त करने का फैसला क्यों किया है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को ‘आठ हफ्ते’ में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता और वकील अमरजीत (28) ने कहा कि एक न्यायाधीश ने राजस्थान के उदाहरण का हवाला दिया, जहां धरोहर इमारतों का जीर्णोद्धार अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया गया है या उन्हें होटल में तब्दील कर दिया गया है।
गौरतलब है कि राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने मध्य जून में घोषणा की थी कि मंत्रिमंडल ने पटना में तीन ‘पॉंच सितारा होटल’ बनाने की मंजूरी दी है, जिनमें से एक होटल वीर चंद पटेल मार्ग पर उस स्थान बनाया जाएगा, जहां सुल्तान पैलेस स्थित है।
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