तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार के समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद और लोजपा (रामविलास) की नेता शांभवी चौधरी ने मंगलवार को वन नेशन वन इलेक्शन के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस विषय पर बने संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य के रूप में चुने जाने पर लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का धन्यवाद किया। इसके साथ ही उन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन को देश हित में बताते हुए कहा कि इससे संसाधनों की बचत होगी।
शांभवी चौधरी ने कहा कि मैं आभारी हूं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने मुझे इस महत्वपूर्ण समिति का सदस्य चुना। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे पार्टी के विचारों और मुद्दों को इस समिति के समक्ष रखने का अवसर मिलेगा। इस फैसले के लिए मैं चिराग पासवान को धन्यवाद देती हैं, जिनके नेतृत्व में मुझे यह जिम्मेदारी दी गई है।
वन नेशन वन इलेक्शन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में अगर सभी चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे कई लाभ होंगे। अक्सर देखा जाता है कि तीन-चार महीने के अंतराल में किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं, जिससे पूरा प्रशासन और चुनावी प्रक्रिया प्रभावित होती है। इससे न सिर्फ संसाधनों का अत्यधिक उपयोग होता है, बल्कि सरकारी कामकाजी प्रक्रिया भी बाधित होती है। अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है तो यह न केवल चुनावी खर्चों में कमी लाएगा, बल्कि सरकार को पांच साल तक काम करने का पूरा समय मिलेगा, जिससे शासन में बेहतर कार्य हो पाएगा।
वन नेशन वन इलेक्शन पर विपक्ष की आपत्ति को राजनीतिक हितों से प्रेरित बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कोई संवैधानिक संकट नहीं है। इस संदर्भ में संविधान का अनुच्छेद 327 स्पष्ट रूप से संसद को यह अधिकार देता है कि वह चुनावों के आयोजन के तरीके को तय कर सकती है। यह किसी भी राज्य सरकार की शक्तियों को कम करने का प्रयास नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि समिति की पहली बैठक जल्द ही होने वाली है, जिसमें वन नेशन वन इलेक्शन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष को भी अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है और इस मुद्दे पर सभी विचारों को ध्यान से सुना जाएगा।
समस्तीपुर जिले और उसके संसदीय क्षेत्रों के विस्तार के सवाल पर शांभवी ने कहा कि डीलिमिटेशन एक अलग मुद्दा है और इस पर अभी तक कोई ब्लूप्रिंट तैयार नहीं हुआ है। अगर ब्लूप्रिंट तैयार होता है, तो मैं उसे मीडिया के साथ साझा करूंगी। डीलिमिटेशन और वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे अलग-अलग हैं और उनका अलग-अलग तरीके से समाधान होगा।
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