तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। कभी मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद के बीच अदावत थी मगर अब रिश्तेदारी हावी है। उत्तर प्रदेश (यूपी) का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है तो लालू रिश्ते का फर्ज निभाने में जुट गए हैं। जैसा पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव के लिए निभाया था। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) ने 2020 में राजद को पूरा समर्थन दिया था। अब लालू की बारी है तो अखिलेश के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। मुद्दे जुटाए जा रहे हैं और माहौल भी बनाया जा रहा है।
जातिगत जनगणना के मुद्दे पर हाल के दिनों में राजद की सक्रियता और हफ्ते भर में राकांपा प्रमुख शरद पवार के अलावा वरिष्ठ समाजवादी नेताओं से लालू की मुलाकात कुछ इसी ओर संकेत करती है। छोटे-छोटे क्षत्रपों को राजी करके यूपी में अखिलेश के लिए बड़ा फलक बनाया जा रहा है। लालू ने इसकी शुरुआत शरद पवार के उस ऐलान के दो दिन बाद किया, जिसमें कहा गया था कि राकांपा यूपी में चुनाव लडऩे जा रही है। राकांपा की घोषणा के बाद 29 जुलाई को लालू ने दिल्ली में शरद पवार से मुलाकात कर उन्हें सपा के साथ आने का फायदा समझाया और गठबंधन का फार्मूला दिया।
बसपा प्राथमिकता में नहीं
फिलहाल लालू की प्राथमिकता में मायावती नहीं हैं, क्योंकि बसपा ने बिहार में राजद का साथ नहीं दिया था। लालू के जेल में रहने के दौरान विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारकर मायावती ने तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। लिहाजा, बसपा को भाव न देकर लालू यूपी मेंं विकल्प की तलाश में हैं। नजर चिराग पासवान पर है, जो यूपी में मायावती से होने वाले नुकसान की एक हद तक भरपाई कर सकते हैं। लोजपा में टूट के बाद से ही राजद चिराग की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है। महागठबंधन में बुलाने के लिए माहौल बनाया जा रहा है। लालू द्वारा चिराग की तारीफ किए जाने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। एक दिन पहले समाजवादी नेता शरद यादव से मुलाकात के बाद लालू ने चिराग को उभरता हुआ युवा नेता बताकर तेजस्वी के साथ आने की संभावना जताई। यूपी चुनाव से जोड़कर इसका भी भावार्थ निकाला जा रहा है।
कांग्रेस को साथ लेने का जारी है प्रयास
राजद यूपी में कांग्रेस का साथ छोडऩे के पक्ष में नहीं है। तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस के बिना भाजपा का विकल्प बनने की बात सोची भी नहीं जा सकती है। लालू का प्रयास है कि कांग्रेस-सपा यूपी में पिछली बार की तरह साथ-साथ चुनाव लड़ें। उत्तर प्रदेश के राजद अध्यक्ष अशोक सिंह के पास इसके लिए तर्क भी है। वह कहते हैं कि 2017 और 2022 के हालात में फर्क है। अबकी साथ आ गए तो चुनाव परिणाम पक्ष में आएगा।
यह भी पढ़े: अखिलेश के लिए यूपी की जंग को आसान बनाने में जुटे लालू