Tuesday, December 3, 2024

महागठबनधन में क्या वाकई सब कुछ ठीक है?

(अब्दुल मोबीन)। बिहार में जहां एक तरफ उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे हैं, प्यार मोहब्बत, आदर सम्मान और संख्या बल का हर हरबा और हथियार इस्तेमाल करके तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ राजद के विधायक और राजद के प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र सुधाकर सिंह द्वारा नीतीश कुमार पर ओछी और उल जलुल टिप्पणी से जदयू खेमा में शदीद नाराजगी पाई जा रही है, सुधाकर सिंह के करतूतों से ऐसा लगता है कि फिलहाल 2025 तक तेजस्वी के मुख्यमंत्री के सपने आसानी से साकार नहीं होंगे।

अपने उलजलूल बयानबाज़ी के लिए जाने जाने वाले सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार पर बड़ी ही भद्दी और बेहूदा टिप्पणी की है। सुधाकर सिंह ने कहा कि: “नीतीश के एक बार पद छोड़ने के बाद लोग उन्हें याद नहीं करेंगे। नीतीश ने राज्य के लिए कुछ भी अच्छा नहीं किया है… दिवंगत श्रीकृष्ण सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्रियों कर्पूरी ठाकुर जैसे लोग हैं, जिन्हें बिहार के लोग हमेशा याद रखेंगे। “नीतीश कुमार शिखंडी की तरह हैं, जिनका खुद का कोई स्टैंड नहीं है।”

विदित हो कि सुधाकर सिंह के इस बयान के बाद जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राजद द्वारा अपने विधायक पर इस बेतुके बयानबाजी और नीतीश कुमार के अपमान के लिए कार्यवाही करने की मांग की है। वहीं नीतीश कुमार ने इस टिप्पणी के बारे में कहा कि मैं ऐसी बातों को नोटिस नहीं लेता।

ज्ञात हो कि यह वही सुधाकर सिंह हैं जिन्हें अपने ही सरकार के विरुद्ध टिप्पणी को लेकर कृषि मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। और गौर करने वाली बात यह है कि यह वही विधायक हैं जो पहले भाजपा पार्टी में थे।

तेजस्वी यादव ने इस मामले में कहा है कि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव इन सब मामलों को देख रहे हैं और बहुत जल्द सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। तेजस्वी ने बार बार यह कहा है कि महागठबंधन पर कीसी प्रकार की टिप्पणी का हक सिर्फ मुझे या लालू प्रसाद यादव को हासिल है बाकी के राजद नेताओं को किसी प्रकार की टिप्पणी का कोई अधिकार नहीं है। अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि तेजस्वी के साफ लफ्जों के इस बयान के बाद यदि कोई राजद नेता महागठबंधन के विरुद्ध कोई टीका टिप्पणी करता है तो क्या वाकई यह मान लेना चाहिए कि यह मात्र उस नेता के जेहन की उपज है या फिर पर्दे के पीछे तेजस्वी यादव की कुछ परछाइयां नजर आ रही हैं। क्या इस मामले से यह सोच निकलकर सामने नहीं आती कि तेजस्वी यादव पर्दे के पीछे से अपने ही नेताओं द्वारा नीतीश कुमार पर अभद्र टिप्पणी कराकर प्रेसर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। और यदि तेजस्वी की नियत साफ है तो इस मामले को 4 दिन गुजर चुके हैं लेकिन अभी तक राजद की तरफ से सुधाकर सिंह के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया।

इस प्रकरण में चाहे तेजस्वी की नियत जैसी भी हो लेकिन इससे नुकसान भी पूरी तरह तेजस्वी यादव को ही होगा। क्योंकि नीतीश कुमार पिछले कई महीनों से तेजस्वी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर अपना रहे थे, और बार-बार यह कहते नजर आ रहे थे कि अब बिहार की बागडोर तेजस्वी को ही संभालनी है। तो शायद यह इशारा भी था कि 2025 से पूर्व ही नीतीश कुमार बिहार की गद्दी पर तेजस्वी का तिलक करते और स्वयं देश की राजनीति में लग जाते।

लेकिन अब इस मामले के बाद भला नीतीश कुमार तेजस्वी के प्रति रहमदिली का दरवाज़ा इतनी जल्दी तो नहीं खोलेंगे।

हां यदि तेजस्वी ने इस मामले में वक्त रहते सुधाकर सिंह के विरुद्ध उचित कार्रवाई किया तो मुमकिन है कि नीतीश कुमार के रहमदिली का जज्बा बरकरार रहे।

इस मामले से इतर देखा जाए तो तेजस्वी यादव में सीएम बनने की बड़ी जल्दबाजी दिखाई दे रही है, और सियासत में जल्दबाजी अच्छी चीज नहीं मानी जाती।

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