तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार में जदयू के एनडीए में शामिल होने के बाद भाजपा फिर से सत्तारूढ़ हो गई है। लेकिन, इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे पर भाजपा की परेशानी बढ़ती दिख रही है। सूत्रों का दावा है कि एनडीए में सीट बंटवारे के गणित के सूत्र तलाशने की पहल भी शुरू हो गई है।
कहा जा रहा है कि भाजपा और जदयू बड़े घटक दल हैं। लेकिन, चार अन्य सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक सीट देने की तैयारी की जा रही है, जिससे गठबंधन में मजबूती बनी रहे।
दरअसल, एनडीए में जब जदयू शामिल नहीं थी तब बड़ी आसानी से सीट बंटवारे की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन, जदयू के आने के बाद समीकरण बदल गया है। वैसे भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व किसी भी सहयोगी पार्टी को असहज नहीं होने देना चाह रहा है। यही कारण माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में भी एनडीए में शामिल सभी दल के नेता उपस्थित थे।
सूत्रों की माने तो जदयू को बिहार में लोकसभा चुनाव में भाजपा से कम सीट मिल सकती है। जानकारी के मुताबिक, बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें है। इनमे भाजपा 17-18 सीटों पर लड़ना चाहती है। जबकि, जदयू को 14 से 15 सीटें दी जा सकती है। भाजपा के फिलहाल 17 और जदयू के 16 सांसद हैं।
लोजपा के दो गुट चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस की पार्टी के पास भी छह सांसद हैं। दोनों दलों में सीटों का बंटवारा इसी अनुपात में होने की संभावना है।
जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोजपा भी एनडीए में शामिल है, ऐसे में इन्हें भी तीन से चार सीट मिल सकती है।
यह भी पढ़े: नीतीश अतीत हैं, तेजस्वी हैं भविष्य : शिवानंद तिवारी