तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) राज्य में ‘निषाद चेतना’ रैलियों के साथ उत्तर प्रदेश में चुनावी शुरूआत करेगी। वीआईपी की योजना राज्य के पूर्वी जिलों में 31 अक्टूबर तक जनसभाएं आयोजित करने की है, जहां निषाद समुदाय की अच्छी खासी आबादी है।
वीआईपी अध्यक्ष और बिहार के मंत्री मुकेश साहनी के अनुसार, निषादों को साधक नहीं बल्कि शासन में भागीदार होना चाहिए और ‘सत्ता का प्रयोग’ करना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, वीआईपी, निषाद पार्टी का मुकाबला करने की योजना बना रही है, जिसने उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ गठबंधन किया है।
दोनों पार्टियां, निषाद वोटों पर निर्भर हैं।
संजय निषाद के नेतृत्व वाली निषाद पार्टी, जो राज्य में भाजपा सरकार का समर्थन कर रही है, पहले से ही मैदान में है और समुदाय के लिए आरक्षण की लड़ाई लड़ रही है।
साहनी ने निषाद पार्टी की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ स्वार्थी निषाद नेता अपने परिवार के हित के लिए काम कर रहे हैं।
पार्टी द्वारा उठाई गई मांगों में निषादों, केवटों, बांधों, कश्यपों और अन्य समुदायों के लिए आरक्षण शामिल है, जो नदी के किनारे रहते हैं।
साहनी ने पूछा कि अगर उन्हें पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दिल्ली में आरक्षण मिल सकता है, तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं?
वीआईपी अध्यक्ष ने कहा कि 403 सीटों में से 169 में निषाद, केवट, बिंद और कश्यप की अच्छी खासी आबादी है।
पार्टी आगामी 2022 के विधानसभा चुनावों में राज्य में पहली बार पानी का परीक्षण करेगी।
बिहार में वीआईपी सरकार का हिस्सा है और इसके चार विधायक हैं।