(अब्दुल मोबीन)। ढ़ाका नगर परिषद की मेन सड़क थाने से लेकर एक किलो मीटर तक नाले में तबदील हो चुकी है। नगर परिषद कार्यालय, वर्तमान विधायक या कोई नेता इसकी सुद्वि लेने वाला नहीं है। राहगीरों को ऐसा महसुस होता है कि वह सड़क पर नहीं बल्कि नाले से गुजर रहे हैं। यह स्थिति ढ़ाका शहर के गांधी चौक से पुरब की ओर जाने वाली सड़क का है। सड़क पर नाले का पानी इतना भरा रहता है कि मानो सड़क नहीं नाला हो। ऐसा भी नहीं है कि आज बरसात के मौसम के कारण या कुछ महिनों से सड़क की यह दुर्दशा है बल्कि उक्त सड़क की यह स्थिति पिछले कई वर्षों से है। 2015 में फैसल रहमान महागठबंधन से ढ़ाका के विधायक हुए लेकिन इस सड़क का दुर्भाग्य कहें या ढ़ाका का या फिर राहगीरों का यह सड़क अपनी बेबसी पर रोती रही। उस बीच ना तो नगर पिरषद ने इस सड़क की आपबीती सुनी और ना ही उस समय के विधायक फैसल रहमान ने। 2020 में पवन जायसवाल ढ़ाका के विधायक हुए ढ़ेर वर्ष बीतने को हैं । उन्होंने भी इस सड़क की खस्ताहाली को नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं 2018 में नगर परिषद की मुख्य पार्षद नाजरा खातुन बनी थीं तो ढ़ाका वासियों ने उनसे इस सड़क की बाबत कहा था उनका ढ़ाई वर्ष का कार्यकाल बीता लेकिन सड़क जुं की तुं है। पिछले एक वर्ष से अधिक से सैयदा खातुन मुख्य पार्षद हैं।
लोगों ने उनसे भी फरीयाद किया लेकिन अफसोस कि इस सड़क की स्थिति नहीं बदली। कभी कभार कोई पर्व त्योहार आता है तो नगर परिषद वाले के विकास का सोया हुआ जज्बा जागता है (क्यिंकि दायित्व तो अब सरकारी विभागों में रहा नहीं) और कुछ कच्चे पक्के इन्ट के टुकड़े डाल दिए जाते हैं। लेकिन वह इन्ट के टुक्डे चन्द दिनों में रोड़े बन कर पानी के साथ बह जाते हैं। और फिर कठिनाईयों का वही सिलसिला जारी रहता है। यह समस्या इतनी भी बड़ी नहीं कि उसे हल करना बड़ा कठिन हो बल्कि इस सड़क के किनारे नाले का आसतित्व है, बस नगर परिषद को करना यह है कि नाले की निकासी का कोई पोख्ता इन्तजाम कर दे। और कहीं कहीं नाले को मरम्मत करादे, यदि इतना काम नगर परिषद या वर्तमान विधायक करा दे तो ढ़ाका वासियों को इस नाले नुमा सड़क की समस्या से निजात मिल जाएगी। अफसोस तो लोगों का तब होता है जब पूर्व विधाय जो एक जमाने में वर्तमान थे उनका आवास भी इसी सड़क में स्थित है और उनकी गाड़ी भी इसी नाले को पार कर के जाती है लेकिन पता नहीं उन्हें यह समस्या क्यिं नहीं दिखाई पड़ी।
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