तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में अपना पहला आरोपपत्र दायर किया और आबकारी विभाग के दो पूर्व अधिकारियों सहित सात लोगों को आरोपी बनाया। सीबीआई ने विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, समीर महेंद्रू, अरुण रामचंद्र पिल्लई, मूथा गौतम, और दो सरकारी अधिकारियों- आबकारी विभाग के तत्कालीन उपायुक्त कुलदीप सिंह और आबकारी विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त नरेंद्र सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है।
चार्जशीट राउज एवेन्यू कोर्ट के समक्ष दायर की गई थी।
सीबीआई आने वाले दिनों में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
सीबीआई ने कहा, अरुण रामचंद्र पिल्लई विजय नायर के माध्यम से आरोपी लोक सेवक को आगे भेजने के लिए महेंद्रू से अनुचित आर्थिक लाभ एकत्र करता था। अर्जुन पांडे ने एक बार नायर की ओर से महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये की बड़ी नकद राशि एकत्र की थी।
सिसोदिया पर आरोप है कि शराब कारोबारियों को कथित तौर पर 30 करोड़ रुपये की छूट दी गई। लाइसेंसधारियों को कथित तौर पर उनकी मर्जी से एक्सटेंशन दिया गया था। आबकारी नियमों का उल्लंघन कर नीति नियम बनाए गए।
इसने यह भी कहा कि सिसोदिया और कुछ शराब कारोबारी सक्रिय रूप से शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभों को प्रबंधित करने और लोक सेवकों को देने में सक्रिय रूप से शामिल थे, जिन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है।
एफआईआर पर नजर डाली तो उसमें लिखा था कि, मनीष सिसोदिया दिल्ली के उपमुख्यमंत्री, अरवा गोपी कृष्ण, तत्कालीन आयुक्त (आबकारी), आनंद तिवारी, तत्कालीन उपायुक्त (आबकारी), और पंकज भटनागर, सहायक आयुक्त (आबकारी) ने वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के बिना निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के इरादे से सिफारिश करने और संबंधित निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सीबीआई ने अब तक इस मामले में दो गिरफ्तारियां की हैं।
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