तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना को 26 सितंबर को 82 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इसे 1942 में भारत में विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में अनुसंधान के लिए स्थापित किया गया था, जिससे कि घरेलू उद्योगों का समर्थन किया जा सके।
वर्तमान में सीएसआईआर भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आता है। इसका नाम दुनिया के सबसे बड़े पब्लिक फंडेड अनुसंधान संस्थान में गिना जाता है। मौजूदा समय में सीएसआईआर के पास 37 नेशनल लैब, 39 आउटरीच सेंटर और एक इनोवेशन कॉम्प्लेक्स है।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की लैब में हजारों वैज्ञानिक, शोधकर्ता और सहायक कर्मचारी कार्यरत हैं। प्रमुख लैब में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (पिलानी), सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (धनबाद), नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज (बेंगलुरु), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी (गोवा) और नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (लखनऊ) शामिल हैं।
सीएसआईआर की प्रमुख उपलब्धियों में हल्के लड़ाकू विमान (एलएसी) तेजस का विकास, सुपर कंप्यूटर फ्लाईसॉल्वर का विकास, एचआईवी संक्रमण के इलाज के लिए अपेक्षाकृत सस्ती एंटीरेट्रोवायरल दवा का निर्माण शामिल है, जिसने अन्य बड़ी कंपनियों को एचआईवी की दवाओं को सस्ता करने पर मजबूर कर दिया।
सीएसआईआर अंटार्कटिका में जाने वाले अभियान और शोध अध्ययनों में भी शामिल रहा है। इसके साथ ही सीएसआईआर की ओर से ऑटोमोबाइल द्वारा पैदा किए जाने वाले वायु प्रदूषण पर रिसर्च की गई और 2002 में नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी बनाने में इसका उपयोग किया गया था।
आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सीएसआईआर ने 2022-23 के दौरान लगभग 250 भारतीय पेटेंट और 213 विदेशी पेटेंट दायर किए। सीएसआईआर के पास 1,132 यूनिक पेटेंट का एक पोर्टफोलियो है, जिनमें से 140 पेटेंट का व्यवसायीकरण किया जा चुका है। 2022 में सीएसआईआर ने 5,800 पेपर्स एससीआई जर्नल में प्रकाशित किए थे।
यह भी पढ़े: जम्मू-कश्मीर में हमारी सरकार बनते ही राज्य का दर्जा वापस दिलाएंगे : राहुल गांधी