तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली) यूक्रेन के बिगड़े हालात के बीच वहां फंसे भारतीयों के हम वतन वापसी जारी है। बिहार लौटने वालों में अधिकांश मेडिकल छात्र हैं, जो यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। स्वदेश लौटने वाले इन छात्रों के चेहरे पर हम वतन लौटने का सुकून तो है, लेकिन सकुशल घर लौटने वाले छात्रों को अब उनके करियर की चिंता भी सताने लगी है।
इधर, बच्चों के अभिभावकों को भी उनके भविष्य को लेकर असुरक्षा की भावना पनप रही है।
यूक्रेेन के खारकीव में पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्र अभिषेक को अपने देश सकुशल वापस लौटने की निश्चिंतता तो है, लेकिन पढ़ाई को लेकर असमंजस भी है। उन्होंने कहा कि क्लिनिकल पेपर में ऑनलाइन पढ़ाई भी मुमकिन नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर विश्वविद्यालय ऑनलाइन पढ़ाई प्रारंभ भी करती है तो भी क्लिनिकल पेपर की पढ़ाई मुश्किल है।
इधर, मधुबनी के लोहापट्टी निवासी किराना व्यवसायी प्रशांत कुमार आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी अपने पुत्र विनायक निवास को डॉक्टर बनाने के लिए अपने संगे-संबधियों से दस लाख रुपये कर्ज लेकर वर्ष 2018 में यूक्रेन के वेनिस्ता शहर के मेडिकल विश्वविद्यालय में दाखिला दिलाया था। अब चौथे साल में विनायक को घर लौटना पड़ा है।
विनायक के पिता ने बताया कि पुत्र के पढ़ाई और उसके भविष्य को लेकर अब संशय उठने लगा है। उन्होंने बताया कि फिलहाल जो स्थिति है, उसके मुताबिक नहीं लगता है कि फिलहाल यूक्रेन की स्थिति में सुधार होगा।
इधर, मुजफ्फरपुर के मीनापुर के रहने वाले मेडिकल छात्र मनीष कुमार भी सकुशल लौट आए हैं। उन्हें भी वापस लौटने की खुशी है, लेकिन अब इसके आगे की पढ़ाई को लेकर संशय बन गया है।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन की वर्तमान स्थिति में वहां पढ़ाई के लिए सोचना भी बेकार होगा। केंद्र सरकार को यूक्रेन से लौटने वाले मेडिकल के छात्रों के लिए कोई उपाय करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि यूक्रेन से बिहार आने वाले छात्रों का सिलसिला जारी है। रविवार को भी अलग-अलग फ्लाइट से 97 छात्र पटना हवाई अड्डे पहुंचे। सरकारी आंकडों के मुताबिक अब तक बिहार आने वाले छात्रों की संख्या 756 है। आपदा प्रबंधन विभाग का मानना है कि कई ऐसे छात्र भी हैं जो पहले लौट आए हैं।