तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार में राज्यसभा की दो रिक्त सीटों पर होने वाले उपचुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। इस चुनाव परिणाम के आने के बाद यह तय है कि राष्ट्रीय लोक मोर्चा के रूप में राज्यसभा में नए पार्टी का प्रवेश होगा।
वैसे, इस चुनाव में जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवारों का कार्यकाल कम समय का होगा। लेकिन, एक सीट को लेकर पेच फंसा हुआ है। एक सीट पर तो राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का जाना तय है।
दरअसल, राजद की मीसा भारती और भाजपा के विवेक ठाकुर के लोकसभा में चुने जाने के बाद दोनों ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से दो सीटें रिक्त हैं। मीसा भारती का कार्यकाल जुलाई 2028 और विवेक ठाकुर का कार्यकाल अप्रैल 2026 तक था।
उपचुनाव में जीते सांसदों को यही कार्यकाल मिलेगा। देखने वाली बात होगी कि किस प्रत्याशी को एनडीए ज्यादा समय तक राज्यसभा में रखना चाहती है। संख्या बल के आधार पर सीटें एनडीए के खाते में जाती दिख रही हैं।
ऐसे में तय है कि इस चुनाव के परिणाम के बाद राजद की सीटें राज्यसभा में कम होंगी, जबकि एनडीए की संख्या बढ़ेगी। बिहार से राज्यसभा के लिए 16 सदस्य निर्वाचित होते हैं। फिलहाल कांग्रेस के एक और राजद के पांच सदस्य हैं। एनडीए की तरफ से भाजपा और जदयू के चार-चार सदस्य हैं।
एनडीए के एक अन्य घटक दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के खाते में एक सीट जाएगी। दूसरी सीट भाजपा को मिलती है या जदयू को, यह देखना होगा। हालांकि, एनडीए की संख्या बढ़ना तय है।
सूत्रों का कहना है कि एक सीट को लेकर भाजपा और जदयू में बातचीत चल रही है। विधान परिषद की एक सीट भी खाली है। इस चुनाव के लिए भी भाजपा और जदयू आमने-सामने हैं। कहा जा रहा है कि यदि भाजपा राज्यसभा की दूसरी सीट पर अपना उम्मीदवार उतारती है तो एमएलसी सीट जदयू को दे दी जाएगी। दूसरी ओर जदयू को राज्यसभा की एक सीट दी जाती है तो विधान परिषद में भाजपा अपना उम्मीदवार देगी।