तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रमुख घटक दल जनता दल (यूनाइटेड ) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा का कार्यकर्ता समागम कार्यक्रम फिलहाल रोक दिया गया है। इस समागम को रोके जाने को लेकर पत्र निकाला गया। इस समागम कार्यक्रम को रोके जाने के बाद अब जदयू में न केवल गुटबाजी को हवा मिलने लगी है बल्कि यह भी जा रहा है कि ये मनीष वर्मा के पर कतरने की कोशिश है।
दरअसल, उड़ीसा कैडर के आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते रहे हैं। जब उन्होंने जदयू की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की बड़ी जिम्मेदारी दी थी तभी से उन्हें नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा।
यह भी सच है कि जदयू के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार रहे हैं, जब भी कोई नेता अपने कद को बढ़ाने की कोशिश करता है, उसका पर कतर दिया जाता है।
नीतीश कुमार की जाति से आने वाले वर्मा ने संगठन को मजबूत करने को लेकर सितंबर महीने से जिलों का दौरा प्रारंभ किया और कार्यकर्ता समागम शुरू किया। अभी यह कार्यक्रम चल ही रहा था कि इसे अचानक रोक दिया गया। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इसका पत्र जारी कर दिया।
इस पत्र के बाद कई तरह के कयास लगाए जाने लगे। कहा जाने लगा कि संजय झा कभी नहीं चाहते हैं कि मनीष वर्मा का पार्टी में कद बढ़े। जानकार भी कहते हैं कि कोई नेता नहीं चाहता है कि उसके सामने दूसरे का कद बढ़े। ऐसे में पार्टी में गुटबंदी की चर्चा होती रहती है।
हालांकि जदयू के नेता ऐसे किसी भी गुटबंदी को नकारते हैं। जदयू के नेताओं की मानें तो पार्टी के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार हैं। मुख्यमंत्री महिला संवाद यात्रा पर निकलने वाले हैं, इसे लेकर यह कार्यक्रम रोका गया होगा। नेताओं का स्पष्ट कहना है कि पार्टी में कहीं कोई गुटबंदी नहीं है।
बहरहाल, विरोधी गुटबंदी को लेकर हवा जरूर दे रहे हैं। लेकिन, देखने वाली बात है कि मनीष वर्मा अब आगे किस अभियान से जुड़ते हैं या उनका भी हाल आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर की तरह होता है।
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