तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार के शिक्षा विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आने की आशंका है. राज्य के स्कूलों में लगे समरसिबल पंपों की गुणवत्ता और उन्हें लगाया जाना अब जांच के दायरे में आ गया है. अपर मुख्य सचिव (एससीएस) एस सिद्धार्थ ने पीएचईडी विभाग को एक पत्र लिखकर स्कूलों में लगे समरसिबल पंपों की जांच के आदेश दिए हैं. बिहार शिक्षा विभाग द्वारा यह फैसला बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र में नीतीश कुमार के सामने उठे सवाल के बाद लिया गया है. खास बात यह भी है कि केके पाठक के कार्यकाल के दौरान स्कूलों में सबरसिबल पंप लगाए जाने के आदेश जारी हुआ था.
दरअसल, बिहार के स्कूलों में समरसिबल पंप लगाने के नाम पर करीब ढाई लाख रुपये प्रति स्कूल खर्च किए गए हैं. लेकिन, जांच में सामने आया है कि कई स्कूलों में लगे समरसिबल पंप खराब हैं या फिर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. इसके अलावा, कई स्कूलों में कम लेयर पर बोरिंग की गई है, टंकी नहीं लगाई गई है और पाइप भी नहीं बिछाए गए हैं. कई जगहों पर बोरिंग की गई तो नल नहीं लगाए गए हैं. ऐसी कई रिपोर्ट सामने आ रही हैं.
राज्य के लगभग 13 हजार स्कूलों में समरसिबल पंप लगाने के नाम पर अरबों रुपये खर्च किए गए हैं. ऐसे में सभी स्कूलों में इसी तरह की गड़बड़ी की पीएचईडी विभाग जांच करेगा. अगर जांच में अनियमितताएं सामने आती हैं तो निश्चित ही यह एक बड़ा घोटाला हो सकता है.पीएचईडी विभाग के विशेषज्ञ अब राज्य के सभी स्कूलों में जाकर समरसिबल पंपों की जांच करेंगे. इस जांच में 15 दिनों का समय लगाया जाएगा और जांच रिपोर्ट सीधे एसीएस को सौंपी जाएगी. अगर जांच में गड़बड़ी पाई जाती है तो दोषी अधिकारियों और एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.