तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से 23 साल पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। यह केवल गुजरात के लिए नहीं, बल्कि भारत की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि नरेंद्र मोदी आखिर गुजरात के मुख्यमंत्री कैसे बने और उनकी इस यात्रा के पीछे की कहानी क्या थी। इस बार में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर मोदी आर्काइव ने जानकारी शेयर की है।
मोदी आर्काइव की पोस्ट के अनुसार, “साल 2001 तक, मोदी सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में तीन दशक बिता चुके थे। आरएसएस के एक साधारण प्रचारक से लेकर भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपने नेतृत्व के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में अपनी पहचान बना ली थी। लेकिन तब भी बहुत कम लोग जानते थे कि 1965 में कांकरिया वार्ड सचिव के रूप में जनसंघ से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले मोदी अब एक ऐतिहासिक छलांग लगाने वाले थे। वह अब 51 साल के भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे।”
पोस्ट के अनुसार, पार्टी के सदस्यों के बीच ‘नमो’ के नाम से पुकारे जाने वाले मोदी ने वर्षों तक भाजपा को गुजरात में एक मजबूत पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए मेहनत की। उस समय, गुजरात में कांग्रेस का दबदबा था और भाजपा की उपस्थिति बहुत कमजोर थी। 1984 में, गुजरात से केवल एक भाजपा सांसद थे, ए.के. पटेल थे जो मेहसाणा से चुने गए थे।
आगे की जानकारी के अनुसार मोदी की दूरदर्शिता, रणनीतिक योजना और कड़ी मेहनत ने बीजेपी को गुजरात में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया। उनके नेतृत्व में, भाजपा ने न केवल कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्रों में जगह बनाई, बल्कि राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को भी पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने संगठनात्मक मजबूती के साथ पार्टी को उन क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद की, जहां भाजपा का पहले कोई खास प्रभाव नहीं था।
पोस्ट में आगे लिखा है, “1985 में जब आरएसएस ने नरेंद्र मोदी को भाजपा के साथ काम करने का निर्देश दिया, तब उनके राजनीतिक कौशल और दूरदर्शिता ने भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ एक गंभीर चुनौती देने वाली पार्टी के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।”
बाद में पार्टी नेतृत्व ने नरेंद्र मोदी को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया, और 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने विकास के नए आयाम देखे, और उनकी यही नेतृत्व क्षमता बाद में उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनने तक लेकर गई। इस तरह, 23 साल पहले की यह घटना एक मील का पत्थर साबित हुई थी, जिसने भारत की राजनीति में पीएम मोदी के प्रभावशाली नेतृत्व को स्थापित किया।
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