Sunday, September 22, 2024

“भारत जोड़ो यात्रा” के माध्यम से बड़े नेताओं से रूबरू होने के जनता के सपनों को राहुल गांधी ने किया पूरा।

(अब्दुल मोबीन)। बहुत सारी आलोचनाओं और कुछ प्रशंसाओं के साथ, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की “भारत जोड़ो यात्रा” आखिरकार समाप्त हो गई है। आने वाले दिनों में राहुल गांधी की इस यात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा होगा, राहुल गांधी ने भारत की जनता को इस यात्रा से कितना जोड़ा है या भारत में फैली धार्मिक नफरत की खाई को भरने के लिए राहुल गांधी ने कितना कुछ किया है, यह सारे प्रश्न भारत के लोगों विशेष कर धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले लोगों के सामने हैं। विदित हो कि किसी भी नकारात्मक प्रयास का फल समय पर मिलता है और उसका परिणाम बहुत जल्दी सामने आता है, लेकिन सकारात्मक प्रयास का परिणाम आने में थोड़ा समय लगता है और सकारात्मक प्रयास का फल भी देर से मिलता है, लेकिन वह फल मिठास से भरपूर होता है।

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 7 सितंबर, 2022 को दक्षिण भारत से “भारत जोड़ो यात्रा” की शुरुआत की थी। हाड़ कंपा देने वाली ठंड, बारिश और बर्फीली हवाओं से बेपरवाह, विपक्ष और आलोचकों की आलोचना से बेपरवाह राहुल गांधी ने उत्साह, निडरता और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपनी यात्रा जारी रखी। राहुल गांधी की यात्रा चौदह राज्यों से होते हुए 136 दिनों में 4000 किमी की यात्रा तय कर श्रीनगर पहुंची. जहां श्रीनगर में राहुल गांधी ने ध्वजारोहण के साथ अपनी यात्रा का समापन किया.
श्रीनगर पहुंचने से पहले राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें आगाह किया गया था कि पैदल चलने से उनकी जान को खतरा है. स्थानीय प्रशासन ने उन्हें सूचना दी थी कि उन पर ग्रेनेड भी फेंके जा सकते हैं। यानी प्रशासन सुरक्षा देने के बजाय राहुल गांधी को डराने की कोशिश कर रही थी। लेकिन दृढ़ निश्चय के साथ राहुल गांधी श्रीनगर पहुंचे और अपनी यात्रा पूरी की।
कांग्रेस पार्टी के मुताबिक, राहुल गांधी की यात्रा का मकसद ‘भारत के लोगों में फैल रही धार्मिक नफरत को प्यार में बदलना, भारत को एक करना और देश को एक साथ मजबूत करना था।
पांच महीने की अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कई स्थानों पर वर्षा के बीच और ठंडे मौसम में लोगों को संबोधित किया।

राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान कई बार संघीय सरकार की आलोचना की और बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, भ्रष्टाचार और भारतीय क्षेत्र में चीन के हस्तक्षेप के विषयों पर बात की। राहुल ने देश में धार्मिक राजनीति की आलोचना करते हुए कहा कि आज देश में धर्म के नाम पर लोगों के मन में नफरत का जहर घोला जा रहा है। सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा हिंदू मुस्लिम का नारा लगाकर हिंदुओं के मन में अकारण मुसलमानों के प्रति नफरत पैदा करने की कोशिश कर रही है। लोकतंत्र का पूरी तरह से गला घोंटा जा रहा है। आर्थिक रूप से भारत को कमजोर बनाया गया है। युवाओं को रोजगार के बजाय मंदिर-मस्जिद के विवाद में उलझा दिया गया है। इस देश में इंसानियत मर रही है। वैश्विक स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है। चीन आक्रामक तरीके से भारत पर हावी हो रहा है। लेकिन सरकार केवल धार्मिक जहर घोलने के नए-नए एजेंडे में लगी है।
यात्रा के अंत में राहुल गांधी का बयान:
अपनी यात्रा के अंत में, राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें अन्य क्षेत्रों की भांति कश्मीर में भी लोगों का बहुत प्यार मिला।
रविवार को श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि उन्हें देश भर से जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। उनके अनुसार इस यात्रा का उद्देश्य यह भी था कि इस देश के लोग अपने देश के लोगों की असली आवाज सुन सकें।
उन्होंने कहा: “इस यात्रा के दौरान हमने प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए लोगों के जुनून और ताकत को देखा। हमें देश के किसानों और बेरोजगार युवाओं की समस्याओं को सुनने का मौका मिला है।”
नवंबर 2022 में, राहुल गांधी ने कहा कि “इस यात्रा के माध्यम से, मैं भारत के लिए एक वैकल्पिक विचारधारा का बीज बोने की कोशिश कर रहा हूं”। उन्होंने कहा था कि अगर इस दिशा में और काम किया जाए तो सत्ताधारी दल बीजेपी को बेअसर किया जा सकता है।
इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। मार्च में कई जानी-मानी हस्तियां भी शामिल हुईं। आम जनता राहुल की एक झलक पाने और उनके साथ चलने को बेताब थी। लोगों ने राहुल गांधी का गर्मजोशी से स्वागत किया। अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान, राहुल गांधी ने बार-बार कहा है कि वह देश में ‘नफरत के खिलाफ प्यार की दुकान’ खोलना चाहते हैं।

मीडिया की बात करें तो देश की अधिकांश मीडिया ने या तो इस पूरे यात्रा को अपने ध्यान का केंद्र नहीं बनाया या इस यात्रा को कभी देखा और दिखलाया भी तो आलोचनात्मक रूप में दिखाया। मीडिया कभी राहुल की टी-शर्ट, कभी उनकी दाढ़ी और कभी उनके जूतों की चर्चा करती थी। बड़े मीडिया हाउस ने इन पूरे पांच महीनों में एक दिन भी राहुल गांधी की यात्रा के उद्देश्य का जिक्र नहीं किया, मीडिया ने एक बार भी नहीं कहा कि राहुल की यात्रा का थोड़ा सा भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जनता की शिकायतें सुनते हुए मीडिया ने कभी राहुल गांधी का एक भी वीडियो प्रसारित नहीं किया। अफ़सोस की बात है कि एक आदमी सर्द हवा के बीच लोगों की परेशानी जानने के लिए चल रहा है और मीडिया उसे टी-शर्ट की खबर बताकर दिखा रहा है। अगर पत्रकारिता का यही स्तर है तो ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दें।

हां, कुछ देशी और कुछ विदेशी मीडिया ने राहुल की यात्रा पर निष्पक्ष लेख और वीडियो प्रकाशित किया है। जो निस्संदेह पत्रकारिता का सच्चा प्रतिबिंब है।
कुछ लोग यह कहते सुने जा रहे हैं कि इस यात्रा से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला है। तो राहुल गांधी और कांग्रेस के लोगों ने साफ कह दिया है कि इस यात्रा का मकसद कांग्रेस को चुनावी फायदा देना नहीं है। बल्कि इस यात्रा का उद्देश्य लोगों में सकारात्मक सोच, सही सोच, धार्मिक सद्भाव और एकता पैदा करना है। और निस्संदेह इस यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी ने सराहनीय कार्य किया है। राजशाही हो या लोकतंत्र हर युग में जनता चाहती है कि उनका नेता उनके सामने आए, आमने-सामने आए और नेताओं को अपनी समस्याओं से अवगत कराने के लिए जनता पत्र, ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का प्रयोग किए बिना आमने-सामने बैठें और उन्हें अपनी समस्याएं बताएं। और आज राहुल गांधी ने लोगों की इस इच्छा को सही मायनों में पूरा कर दिया है.

Related Articles

Stay Connected

7,268FansLike
10FollowersFollow

Latest Articles