Monday, November 11, 2024

खुले मंच से बिहार के शिक्षा मंत्री ने “रामचरितमानस” को बतलाया नफरत फैलाने वाला ग्रंथ, मंत्री के बयान की हो रही आलोचना

तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। चुनावी भाषणों में उल जलूल बातें करना, लोगों के बीच अपनी वाहवाही के लिए अंड संड बकना तो नेताओं की पुरानी आदत है। लेकिन हाल ही में बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा विश्वविद्यालय के खुले मंच से एक बड़ा विवादित बयान दिया है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा है कि ‘रामचरितमानस’ नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। मनुस्मृति और गुरु गोलवालकर का बंच ऑफ थॉट्स ग्रंथ से भी समाज में नफरत फैलती है। उन्होंने आगे कहा कि नफरत देश को महान नहीं बनाएगा जब भी महान बनाएगा तो मोहब्बत ही बनाएगा।

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान यह विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति और गुरु गोलवालकर का बंच ऑफ थॉट्स ग्रंथ भी समाज में नफरत फैलाता है। यही कारण है कि लोगों ने मनुस्मृति को जलाने का काम किया। मनुस्मृति में एक बड़े तबके यानी देश के 85 प्रतिशत लोगों के खिलाफ अनेकों गालियां दी गयी है।

उन्होंने बताया कि रामचरितमानस का प्रतिरोध इसलिए हुआ कि ‘अधम जात में विद्या पाए भयो जथा ही दूंध पिलाये’ अधम का मतलब नीच होता है। नीच जाति के लोगों को शिक्षा ग्रहण का अधिकार नहीं था और उसमें कहा गया है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करके जहरीला हो जाते है। जैसा कि सांप दूध पीने के बाद होता है।

मंत्री ने अपने इस बयान के दौरान बाबा साहब अंबेडकर की बातों को भी कोट करते हुए कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने दुनियां के लोगों को बताया। ये जो ग्रंथ हैं नफरत को बोने वाले ग्रंथ है। एक युग में मनुस्मृति दूसरे युग में रामचरितमानस और तीसरे युग में गुरु गोलवालकर का बंच ऑफ थॉट्स ये हमारे देश और समाज को नफरत में बांटती है। नफरत देश को महान नहीं बनाएगा जब भी महान बनाएगा तो मोहब्बत ही बनाएगा।

शिक्षा मंत्री के इस बयान की आलोचना करते हुए अयोध्या के संत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा है कि, जो कोई भी बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटकर लाएगा उसे वह 10 करोड़ का इनाम देंगे।

वहीं प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने भी ट्वीट कर बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील किया है कि मंत्री के के विरुद्ध कार्रवाई करें। कुमार विश्वास ने शिक्षा मंत्री के पास जानकारी का अभाव भी बताया है। उन्होंने कहा कि अभी शिक्षा मंत्री को शिक्षा लेने की आवश्यकता है।

इन सबके बावजूद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने इस बयान को लेकर साफ लफ्जों में कहा है कि इसके लिए मैं कोई माफी नहीं मांगूंगा कि मैंने जो कहा है वह सच है। विदित हो कि शिक्षा मंत्री कोई अनपढ़ जाहिल और गवार नहीं है बल्कि वह एक प्रोफ़ेसर भी हैं। और जब कोई प्रोफ़ेसर कोई बयान देता है तो यह तो नहीं कहा जा सकता कि उनके अंदर जानकारी का अभाव है। और ना ही शिक्षा मंत्री ने कोई हवाई बातें कही हैं बल्कि उन्होंने अपने बयान को लेकर साक्ष्य भी पेश किया है। कुमार विश्वास को सोचना चाहिए कि जिस अंदाज में उन्होंने रामचरितमानस को पड़ा है उससे कहीं बेहतर ढंग से प्रोफेसर चंद्रशेखर ने पढ़ा होगा, क्योंकि चंद्रशेखर के पास शिक्षा और जानकारी वास्तव में कुमार विश्वास से अधिक है।

हां यह बात जरूर है कि धार्मिक मामलों में संवेदनशील माने जाने वाले इस भारत देश में धर्म ग्रंथों या धार्मिक मामलों में टीका टिप्पणी करने से पहले बड़े से बड़े विद्वानों को भी सोचना चाहिए हो सकता है कि उनके बयान सही हों लेकिन करोड़ों लोगों की भावनाओं को आहत करना किसी भी विद्वान, नेता या अभिनेता के लिए कतई दुरुस्त नहीं है।

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