(अब्दुल मोबीन)। एक लंबे अरसे के सियासी जद्दोजहद, राज्य ओर केंद्र सरकार के टालमटोल के रवैए, फिर राज्य की मंजूरी और केंद्र सरकार की नामंजूरी के बाद आखिरकार बिहार में जतिय जनगणना कराने का लालू प्रसाद यादव का सपना पूरा हो रहा है। नीतीश कुमार ने लालू के इस पुराने सपने को हकीकत बनाते हुए बिहार में 7 जनवरी से जातिय जनगणना कार्य शुरू करा दिया है। जातीय जनगणना से तेजस्वी को भी बहुत बड़ी खुशी मिली है, क्योंकि जब से तेजस्वी सियासत में सक्रिय हुए हैं तब से जनगणना कराने की मांग वह भी करते रहे हैं। अब पूरे बिहार में जातीय जनगणना का कार्य शुरू हो चुका है। जिसको लेकर तेजस्वी यादव ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि अब जातीय जनगणना के डाटा के हिसाब से ही बिहार का बजट तय किया जाएगा।
विदित हो कि यह गणना दो चरणों में होने जा रही है। बिहार सरकार पहले चरण में मकान की गिनती और नंबरिंग कराएगी। दूसरे चरण में जाति, पेशा और अन्य तरह की जानकारी इकट्ठा की जाएगी। इस गणना का पहला चरण 7 जनवरी से शुरू होकर 21 जनवरी तक चलेगा। इसके बाद अप्रैल के महीने में इस गणना का दूसरा चरण शुरू होगा। वहीं अब इस गणना को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराते हुए भाजपा पर तंज कसा है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जातीय गणना की शुरुआत हो चुकी है। बिहार के लिए यह ऐतिहासिक निर्णय बहुत पहले ही सीएम नीतीश कुमार द्वारा केंद्र की असहमति के बावजूद ले लिया था। अब इसकी शुरआत भी हो गई है, इससे अधिक ख़ुशी की बात मेरे लिए कुछ भी नहीं हो सकती। हमारे पिता लालू यादव की भी यही चाहत थी और आज यह जानकर वह भी बहुत खुश हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि, हमारी पार्टी राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव की शुरू से यही मांग थी की जाती आधारित गणना हो, इसको लेकर हमलोग सड़क पर भी आंदोलन कर चुके हैं। लालू यादव के रहते हुए मनमोहन सिंह की सरकार ने यह करवाया भी था उसमें सारी चीज़ें थी। हालांकि, बाद में भाजपा के लोगों ने इस डाटा को ग़लत बता दिया। उसके बाद जब मैं नेता विरोधी दल था तब भी इसको लेकर अपनी मांग सबके सामने रखता रहा। लेकिन, भाजपा जेडीयू विरोधी पार्टी है इसलिए उसने इसको लेकर असहमति जताती रही।
बिहार में शुरू हो चुके इस जाती आधारति गणना में एक- एक चीज़ की जानकारी इकठा की जाएगी। इसमें न सिर्फ जाती बल्कि उस जाती के लोगों की आर्थिक स्थिति की भी गणना की जाएगी। इससे राज्य सरकार के पास सही डाटा होगा, जिससे लोगों की मदद करने में आसानी होगी। इसी हिसाब से बजट का स्वरूप भी बढ़ेगा। और उसी हिसाब से योजना भी संचालित होगा। इससे यह पता चलेगा कि हमें सबसे पहले किसकी मदद करनी चाहिए।