तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर ओबीसी को आरक्षण के अधिकार से वंचित करने का आरोप लगा रही हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया है कि, “ओबीसी को आरक्षण से वंचित करने के बाद बीजेपी एक दिन दलितों से भी आरक्षण का अधिकार छीन लेगी। इसके साथ ही उन्होंने आरक्षण के अधिकार को बचाने के लिए ओबीसी और दलितों से एसपी की लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया।”
अखिलेश ने एक बयान में कहा, “आज भारत के संविधान में निहित ओबीसी के लिए आरक्षण समाप्त करने की भाजपा की साजिश का पदार्फाश हो गया है। अब वे यह दिखाने के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं कि उन्हें पिछड़ों से हमदर्दी है। हवाई अड्डों, रेलवे, शिपयार्ड और अन्य सरकारी इकाइयों को कॉरपोरेट्स को बेचकर, भाजपा ने इन विशिष्ट वर्गों में आरक्षण समाप्त कर दिया है क्योंकि निजी संगठन आरक्षण नीति के दायरे में नहीं आते हैं। अब वे सरकारी सेवाओं में भी आरक्षण खत्म करना चाहते हैं। पिछड़ों और दलितों के प्रति इस तरह का रवैया लोगों को रास नहीं आएगा।”
इस बीच, बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि राज्य में ओबीसी समुदाय भाजपा सरकार को उनकी गलती की सजा देगा।
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार को चुनाव प्रक्रिया को अंतिम रूप देने से पहले ट्रिपल टेस्ट प्रणाली का उपयोग करते हुए ओबीसी आरक्षण को समय पर पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी और जवाबदेही के साथ सुप्रीम कोर्ट के निदेशरें का पालन करना चाहिए था।”
उन्होंने कहा कि, “ओबीसी इस गलती के लिए भाजपा को दंडित करेंगे, उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश भगवा पार्टी की ओबीसी विरोधी और आरक्षण विरोधी मानसिकता और सोच को उजागर करता है।”
आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि अगर बीजेपी बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने की कोशिश करेगी तो उनकी पार्टी इसके विरोध में सड़कों पर उतरेगी।
सांसद, जो पार्टी के राज्य प्रभारी भी हैं, ने कहा कि अदालत के आदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा ओबीसी विरोधी और दलित विरोधी है।