तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। भारत ने तकनीक के क्षेत्र में एक और सफलता हासिल किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने में एक एक और खूबसूरत गांठ बांध दिए हैं।
भारत ने अपनी आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए ISRO और DRDO जैसी सस्था को बढ़ावा दिया है। इस समय भारत अपनी सैन्य क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में उसने ड्रोन, मिसाइल समेत अत्याधुनिक निर्मित प्रणाली को विकसित किया है, जिसमे अब तपस का नाम भी शामिल हो गया है जो एक अत्याधुनिक मानव रहित विमान है।
तपस एक मानव रहित विमान है। तपस को आने वाले समय में भारत की आत्मनिर्भता का ‘मील का पत्थर’ माना जा सकता है। तपस 224 किमी प्रति घंटा की दर से उड़ सकता है और तपस-BH201 ड्रोन करीब 1000 किमी की निगरानी कर सकता है। इसको भारत की DRDO सस्था ने निर्मित किया है। DRDO ने इसका सफल परिक्षण कर लिया है। भारत में तपस विमान को बनाने में विदेशों की तुलना में 8गुना कम खर्च हुआ है। UAV ने 18 घंटे के उड़ान का सफल परीक्षण कर लिया है। इसे डीआरडीओ के प्रमुख रिसर्च लेबोरेटरी (AED) के द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। DRDO ने एक बयान में बताया कि तपस विमान का परीक्षण बुधवार को चित्रदुर्ग (कर्नाटक) एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में सफलतापूर्वक पूरा किया गया। AED ने तपस को अमेरिका के जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन की तर्ज पर बनाया है। तपस 350 किलोग्राम के वजन के साथ उड़ान भर सकता है। तपस BH की लंबाई 9.5 मीटर और चौड़ाई 20.6 मीटर तथा वजन 1800 किलोग्राम है।