Thursday, September 19, 2024

नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठकों से नीतीश कुमार और जदयू की दूरी से क्या बिहार को हो सकता है नुकसान?

(अब्दुल मोबीन)

नीतीश कुमार ने जब से बिहार में भाजपा से गठबंधन तोड़ कर राजद, कांग्रेस और वामदलों के साथ सरकार बनाई है तब से एक बात मुख्य रूप से देखी जा रही है कि नीतीश नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सभी प्रकार की बैठकों से दूरी बना रहे हैं। इस दूरी का कारण असल में क्या है यह तो नीतीश कुमार और जदयू के लोग ही बेहतर जानते हैं लेकिन मुख्यमंत्री के इस रवैए से कहीं ऐसा तो नहीं कि बिहार की जनता का नुकसान हो रहा है। इस प्रश्न का जवाब बिल्कुल सीधा और साफ है, कि हां! नीतीश के इस रवैए से बिहार को नुक्सान तो होगा। क्यूकि भारतीय लोकतंत्र की परंपरा यही रही है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच समन्वय की स्थिति लगातार बनी रहनी चाहिए। यदि केंद्र और राज्य के बीच का समन्वय टूटा तो इस का नुकसान राज्यों को केंद्र की ओर से मिलने वाले ग्रांट में कमी के रूप में उठानी पड़ती है। अब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी से दूरी और उससे बिहार को होने वाले नुक्सान से बचने के लिए क्या तरकीब निकालते हैं यह उनके उपर है। लेकिन यह बात चर्चा का विषय बनी हुई है। हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 को लेकर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में ममता बनर्जी जैसी पीएम मोदी की धुर विरोधी तक शामिल हुईं। लेकिन नीतीश कुमार नदारद रहे। इतना ही नहीं, उनकी पार्टी के अध्यक्ष भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बाद से यह सवाल लगातार उठ रहा है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठकों से नीतीश और उनकी पार्टी क्यों दूरी बना रही है?

इसके पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने से कतराते रहे हैं। इसका कारण नीतीश कुमार ही बता सकते हैं। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी नीतीश कुमार उन कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होने वाले थे। हालांकि, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया था। अब यही कारण है कि भाजपा ने नीतीश पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

नीतीश कुमार के नरेंद्र मोदी की बैठकों से दूरी को लेकर भाजपा के कई नेता इस रवैए को उनका अहंकार बता रहे हैं, भाजपा के नेताओं का यह बयान गठबन्धन टूटने के आक्रोश को लेकर भी हो सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री वाली बैठकों से दूरी किसी भी राज्य के लिए अच्छी बात नहीं है। भारत को जी-20 का नेतृत्व मिलने के उपलक्ष्य में बिहार सहित देश भर में 200 से ज्यादा कार्यक्रम होने वाले हैं। क्या नीतीश कुमार इन कार्यक्रमों में भी असहयोग करेंगे? यदि ऐसा हुआ, तो यह बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा। और हो सकता है कि केंद्र के आक्रोश का खमियाजा बिहार को मिले।

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