Monday, September 23, 2024

बीजेपी सांसद रवि किशन लोकसभा में पेश करेंगे जनसंख्या नियंत्रण विधेयक

तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लोक सभा सांसद रवि किशन शुक्रवार को सदन में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने से जुड़ा विधेयक पेश करने जा रहे हैं। देश में लगातार तेजी से बढ़ रही आबादी और इसकी वजह से बढ़ रही समस्याओं के मद्देनजर फिल्म अभिनेता और गोरखपुर से लोक सभा सांसद रवि किशन प्राइवेट मेंबर बिल के तहत शुक्रवार को जनसंख्या नियंत्रण विधेयक-2019 पेश करेंगे। इसके अलावा रवि किशन शुक्रवार को ही मानसिक विमंदित बालक (कल्याण) विधेयक-2019 और कलाकार (सामाजिक सुरक्षा) विधेयक-2019 भी पेश करेंगे।

आईएएनएस से बात करते हुए रवि किशन ने कहा कि लगातार बढ़ रही जनसंख्या भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या है और अगर भारत को विश्वगुरु बनना है तो हमें जनसंख्या को नियंत्रित करना ही होगा। इस विधेयक को कानून बनाना ही पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वो 2019 से यह विधेयक पेश करने की कोशिश कर रहे हैं और आज वो विपक्षी दलों से हाथ जोड़कर प्रार्थना करेंगे कि वो सदन में हंगामा न करें, लोक सभा सुचारू तरीके से चलने दें ताकि इस महत्वपूर्ण विधेयक पर सदन में चर्चा हो सके।

रवि किशन के अलावा लोक सभा सांसद मनोज कोटक ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म विनियामक प्राधिकरण विधेयक-2021, सुब्रत पाठक गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले स्नातकों के लिए बेरोजगारी भत्ता विधेयक-2021, सुधाकर तुकाराम विद्यालयों में संस्कृत भाषा का अनिवार्य शिक्षण विधेयक- 2019, जगदंबिका पाल राष्ट्रीय परामर्श आयोग विधेयक-2019 एवं अनिवार्य सैन्य भर्ती विधेयक-2019, सु. थिरुनवुककरासर बेरोजगारी भत्ता विधेयक- 2019, के सुधाकरण आधुनिक दासत्व (निवारण) विधेयक- 2020 और जनार्दन सिंह सीग्रीवाल अनिवार्य मतदान विधेयक-2019 भी प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर लोक सभा में पेश करेंगे। इसके अलावा अन्य कई लोक सभा सांसद भी विभिन्न मुद्दों पर अपने बिल सदन में पेश करेंगे।

आपको बता दें कि, एक सांसद जो मंत्री नहीं होता है उनके द्वारा पेश किए गए विधेयक को प्राइवेट मेंबर बिल कहा जाता है। सरकारी विधेयकों को सरकार का समर्थन होता है और इसलिए आमतौर पर इस तरह के विधेयकों के पारित होने में ज्यादा मुश्किलें नहीं आती हैं। लेकिन प्राइवेट मेंबर बिल को पेश करने के लिए मंजूर करने का फैसला पूरी तरह से लोक सभा अध्यक्ष पर निर्भर करता है। अध्यक्ष की मंजूरी मिलने के बाद सांसद, संसद सत्र के दौरान केवल शुक्रवार को ही इसे सदन में चर्चा के लिए पेश कर सकते हैं।

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