Friday, April 18, 2025

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने राहुल गांधी की यात्रा को ‘फैशनेबल यात्रा’ करार दिया

तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोमवार को बिहार की एकदिवसीय यात्रा पर हैं। बेगूसराय में वे ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा में शामिल होने के बाद पटना में भी एक कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। इस दौरान भाजपा और जदयू के नेताओं ने उन पर तंज कसते हुए विभिन्न मामलों को लेकर आड़े हाथों लिया।

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने राहुल गांधी के बिहार आने पर कहा कि बिहार में कर्फ्यू नहीं लगा है। ऐसे में जिसको भी आना है, आएं, किसी पर कोई रोक-टोक नहीं है। लेकिन, क्या राहुल गांधी रोजगार का मतलब भी समझते हैं? उसकी परिभाषा भी जानते हैं? उनको मालूम है कि बिहार में रोज नियुक्ति पत्र बंट रहा है। इन लोगों को रोजगार से कोई लेना-देना नहीं है। बिहार में प्रतिदिन रोजगार मिल रहा है, प्रतिदिन नियुक्ति पत्र बंट रहा है, इसलिए उनको घूमना है, घूमते रहें। घूमना है तो कुछ बोलना है तो बोलते रहें। जनता यहां मन बना चुकी है।

उन्होंने राहुल गांधी की यात्रा को फैशनेबल यात्रा करार दिया। उनकी यात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने राहुल गांधी के संविधान की पुस्तक लेकर घूमने को लेकर कहा कि उनके पूरे परिवार का इतिहास संविधान की धज्जी उड़ाने का रहा है।

इधर, जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि राहुल गांधी के दौरे से बिहार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार से उनको क्या लेना-देना है? पलायन के सवाल पर राज्यसभा सांसद ने कहा कि सबसे अधिक पलायन जब हुआ, उस समय बिहार में कांग्रेस और राजद की ही सरकार थी। सब डॉक्टर भाग गए थे, स्टूडेंट चले गए थे। उन्होंने अभी वक्फ पर लोकसभा में चर्चा हुई लेकिन नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद कुछ नहीं बोल पाए।

इधर, तेजस्वी यादव के एक बयान पर उन्होंने कहा कि उन्हें आजकल जदयू की ज्यादा चिंता है, उन्हें अपनी पार्टी को देखना चाहिए। इस बीच, भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि राहुल गांधी की पदयात्रा से बिहार के चुनाव में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बिहार में कांग्रेस का शासन काल लगभग 58 साल तक रहा। जनता पूछेगी कि आपने करीब 60 साल तक बिहार पर राज किया, आपने क्या किया?

जब जनता को कोई जवाब नहीं मिलेगा तो स्वाभाविक है वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ होंगे। राहुल गांधी पदयात्रा कर लें या भागलपुर में बैठ जाएं, क्या फर्क पड़ता है?

यह भी पढ़े: बिहार को राहुल-तेजस्वी नहीं नीतीश कुमार चाहिए: राजीव रंजन

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