तिरहुत डेस्क (पटना)। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती सोमवार को लोजपा कार्यालय में मनाई गई। इस मौके पर लोजपा संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस ने स्वर्गीय पासवान के चित्र पर माल्यार्पण कर अपने स्वर्गीय बड़े भाई को नमन किया। पारस अपने दिवंगत नेता और अपने बड़े भाई को याद करते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच भावुक होते हुए कहा कि दिवंगत नेता की विचारधारा और उनके सिद्धांत को हमसभी लोगों को मिलकर आगे बढ़ाना है।
पारस ने सांसद चिराग पासवान पर एकतरफा फैसला लेने का आरोप लगाते हुए कहा, “चिराग के एकतरफा फैसले और रवैये से पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो चुका था। बिहार में पार्टी का अस्तित्व खतरे में था। मैंने पार्टी के अस्तित्व को बचाया है।”
उन्होंने आगे कहा, “करीब 21 वर्ष पूर्व लोजपा का नीव रखी गई थी। स्वर्गीय पासवान ने पार्टी का वजूद और अस्तित्व तथा पार्टीजनों और बिहार के गरीबों और दलितों को मान सम्मान जीवनपयर्ंत दिया। उस मान सम्मान की रक्षा करने के लिए मैंने भारी मन से इन दिनों कई फैसले लिए।”
उन्होंने कहा, “अब मेरा राजनीतिक सफर अंतिम पड़ाव पर है। मुझे आने वाली पीढ़ी और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता कभी माफ नहीं करते यदि मैं मूकदर्शक बना रहता और पार्टी को बर्बाद होते हुए देखता।” इस मौके पर पार्टी के सांसद चौधरी महबूब अली कैसर, सांसद वीणा देवी, सांसद चंदन सिंह ने भी अपने नेता स्वर्गीय पासवान को याद किया। प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बताया कि रामविलास की जयंती देश के सभी राज्यों समेत पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय सहित उनके पैतृक गांव खगड़िया जिला के सहरबन्नी में बड़े धूमधाम से मनाई गई।
उन्होंने कहा कि स्वर्गीय पासवान की आर्थिक बिरासत के हकदार भले ही चिराग पासवान हो सकते हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत के हकदार पशुपति पारस ही हैं। उल्लेखनीय है कि लोजपा दो गुटों में बंट गई है। एक का नेतृत्व जहां सांसद चिराग पासवान कर रहे हैं, वहीं दूसरे गुट का नेतृत्व उनके चाचा पशुपति पारस कर रहे हैं।