Thursday, January 23, 2025

बालासाहेब ठाकरे की जयंती : पीएम मोदी समेत तमाम नेताओं ने किया याद

तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बालासाहेब के सिद्धांतों और संस्कृति के प्रति समर्पण की प्रशंसा की।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मैं बालासाहेब ठाकरे जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। जन कल्याण और महाराष्ट्र के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए उन्हें व्यापक रूप से सम्मान और याद किया जाता है। जब बात अपने मूल विश्वासों की आती थी तो वे समझौता नहीं करते थे और हमेशा भारतीय संस्कृति के गौरव को बढ़ाने में योगदान देते थे।”

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पोस्ट पर लिखा, “सनातन संस्कृति और राष्ट्रप्रथम की विचारधारा के प्रति आजीवन समर्पित आदरणीय बालासाहेब ठाकरे जी ने देशहित को हमेशा सर्वोपरि रखा। विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों से कभी समझौता न करने वाले बालासाहेब जी की वैचारिक दृढ़ता सदैव प्रेरणा देती रहेगी। प्रखर राष्ट्रवादी बालासाहेब ठाकरे जी की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन।”

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने श्रद्धांजलि देते हुए एक्स पर लिखा, “हिंदू हृदय सम्राट श्रद्धेय बालासाहेब को श्रद्धांजलि।”

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी ठाकरे को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, “हिंदू हृदय सम्राट, शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि।”

बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी, जो मराठी माणूस और हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़ी पार्टी थी। महाराष्ट्र में उनके बहुत बड़े समर्थक थे और धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता पूरे देश में फैल गई। उनका जन्म 23 जनवरी, 1926 को पुणे में हुआ था और 17 नवंबर, 2012 को 86 वर्ष की आयु में मुंबई में उनका निधन हो गया।

बालासाहेब ठाकरे राजनीतिज्ञ होने के साथ एक कार्टूनिस्ट थे। उन्होंने मराठी भाषा के अखबार ‘सामना’ की भी स्थापना की। राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव रखने के बावजूद ठाकरे ने अपने राजनीतिक जीवन के दौरान कभी कोई आधिकारिक पद नहीं संभाला।

बालासाहेब ठाकरे के निधन के बाद से उनकी पार्टी में बड़ी फूट 2022 में देखने को मिली। जब एकनाथ शिंदे द्वारा तत्कालीन पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के बाद शिवसेना विभाजित हो गई। इसके कारण महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद शिंदे ने भाजपा से हाथ मिलाकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली और खुद मुख्यमंत्री बन गए। बाद में चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को ‘असली’ शिवसेना के रूप में मान्यता दी।

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