तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, “भारी मन और बड़े दुख के साथ हम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 बी के तहत ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पेश करने के लिए बाध्य हैं।”
यह सिर्फ इस एक सत्र से नहीं, बल्कि कई सूत्रों से चल रहा है। हमने देखा है कि विपक्ष के नेताओं को बोलने नहीं दिया जाता, हमें बोलने नहीं दिया जाता और पूरे विपक्ष को चुप करा दिया जाता है। सत्ता पक्ष के नेता किरेन रिजिजू तो बोलते हैं लेकिन दूसरे को बोलने का मौका नहीं दिया जाता है। यह सरकार लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखती है। जब हम सदन में बैठकर नियमों के अनुसार अपनी बात नहीं रख सकते हैं तो अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था। हम लोग इसलिए अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं।
बता दें कि 10 दिसंबर को राज्यसभा में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है। इसके लिए इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को एक प्रस्ताव सौंपा है। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस का कहना है कि राज्यसभा के सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन किया जा रहा है। विपक्षी सांसदों ने इसके प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
कांग्रेस सांसदों का कहना है कि राज्यसभा में इस प्रकार की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही करने के कारण इंडिया गठबंधन से जुड़े विपक्षी दलों के पास सभापति के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले राज्यसभा सांसदों का कहना है कि सभी पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि राज्यसभा में उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर नहीं दिया जा रहा है।
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