तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। देशभर के सैकड़ों शिव भक्तों ने रविवार को बाबा केदारनाथ के दर्शन किए और पूजा अर्चना की। भाई दूज के पर्व पर विशेष पूजा के बाद बाबा केदार के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। छह माह बाद बाबा केदार के कपाट खोले जाएंगे।
भाई दूज के दिन देश के 12 ज्योतिर्लिंग में शामिल श्री केदारनाथ धाम में बाबा के दर्शन करने के लिए सैकड़ों की तदाद में शिव भक्त पहुंचे थे। यहां पर भारतीय सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच वैदिक विधि-विधान व धार्मिक परंपराओं के साथ बाबा का कपाट बंद किया गया।
रविवार सुबह पांच बजे से बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। बीकेटीसी के आचार्य,वेदपाठियों, पुजारीगणों ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा की। स्वयंभू शिवलिंग को भस्म, स्थानीय पुष्पों बेल पत्र आदि से समाधि रूप दिया गया। प्रातः 08:30 बजे बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया गया इसके बाद श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने के साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली ने अपने पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान किया। हजारों श्रद्धालु बाबा की पंचमुखी डोली के साथ पैदल ही रवाना हुए। इस दौरान भारी संख्या में शिव भक्त मौजूद रहे और उनमें गजब का उत्साह देखने को मिला।
केदारनाथ धाम के पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि भगवान शिव का यह दिव्य मंदिर भाईदूज के दिन बंद कर दिए गया। प्रात: काल भगवान शिव का का भव्य अभिषेक के साथ महाभोग लगाया गया। समाधि पूजन किया गया। जगत के शिव भक्तों के कल्याण के लिए भगवान शिव हिमालय की इस श्रृंखला में विराजमान हो गए।
पुजारी शिव शंकर लिंग ने आगे कहा, इस स्थान पर आज से ही देव पूजा आरंभ हो गई है। छह माह तक नरपूजा है। मानव द्वारा यहां पर शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। छह माह के उपरांत देव पूजा शुरू हो जाती है। भगवान के जो दिव्यगण है यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, मां जगदंबा भगवान के श्री चरणों की सेवा करते हैं। आज से पूजा का भार देवों के पास चला गया है। भगवान शिव से मैं प्रार्थना करता हूं कि जगत के सभी शिव भक्तों का कल्याण करें।
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