Saturday, November 23, 2024

2024 में भी दिल्ली की गद्दी पर आसीन रहेगी भाजपा, लेकिन भाजपा के सुनहरे सपने शायद नहीं हो पाएंगे साकार

(अब्दुल मोबीन)
2024 लोकसभा के नतीजे सामने आ चुके हैं दिल्ली की गद्दी पर एक बार फिर यानी तीसरी बार भाजपा विराजमान होने के कवायद पूरे कर चुकी है। बहुमत के जादुई आंकड़े को भले ही भाजपा पार नहीं कर पाई हो लेकिन अपने गठबंधन के सहयोगियों की सहायता से नरेंद्र मोदी ही तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। यूं तो भाजपा को 240 सीटें हासिल हुई लेकिन इंडिया में शामिल अन्य दलों के सहयोग से भाजपा बहुमत के जादुई आंकड़े यानी 272 को पार करते हुए 292 तक पहुंचने में सफल हो गई। वही इंडी गठबंधन अपने प्रयासों और अपने घटक दलों के लाख एक जुटता के बावजूद 234 पर ही रुक गई है। यह अलग बात है की 4 जून से लेकर अब तक इंडी गठबंधन किसी न किसी तरीके से सरकार बनाने के कवायद में तो लगी है लेकिन शायद उनका सपना साकार होता हुआ नहीं दिख रहा है।
कांग्रेस ने सोचा था कि नीतीश कुमार जिन्हें पलटू राम का खीताब मिल चुका है शायद वह और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू जो शायद नीतीश कुमार के नक्शे कदम पर चलने के लिए वह भी मशहूर है इन दोनों को अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस ने हर जतन किया लेकिन शायद इन दोनों पलटूओं को कांग्रेस का ऑफर अभी मंजूर नहीं है इसलिए यह दोनों लोग भाजपा के साथ बने रहने की सहमति दे चुके हैं। अब इन दोनों का फिलहाल कांग्रेस की तरफ आना जरा मुश्किल लग रहा है इसलिए कांग्रेस अपने सारे जतन के बावजूद दिल्ली की गद्दी से दूर ही रहेगी।
इस बीच भाजपा के खेवईया नरेंद्र मोदी या अमित शाह भी खुशी के आंसू नहीं बल्कि गम के आंसू ही बहा रहे हैं, क्योंकि अब इन दोनों के अधूरे सपने कम से कम इन 5 सालों में तो पूरे होते हुए बिल्कुल दिखाई नहीं देते। एक तो इन दोनों के सामने नीतीश और चंद्रबाबू नायडू की बहुत सारी शर्ते हैं जिन्हें पूरा करने में ही इन दोनों महानुभाव यानी मोदी और अमित शाह के पसीने छूटने अभी से शुरू हो गए हैं। और अभी तो 5 साल बाकी है इन 5 सालों में शायद नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बदन में उतने पसीने बाकी भी ना रह जाए और यह दोनों तंग आकर या तो नीतीश और चंद्रबाबू नायडू से अपना दामन छुड़ाना चाह और अपनी सरकार बचाने के लिए कुछ अलग जुगलबंदी के फिराक में लगे या फिर ऐसा हो कि नीतीश और चंद्रबाबू नायडू अपनी शर्तों के पूरा न होने पर अमित शाह और मोदी का साथ छोड़ने पर विवश हो जाएं।
खैर यह तो भविष्य की बातें हैं फिलहाल कुछ ऐसे आसार दिख रहे हैं जो नरेंद्र मोदी अमित शाह या फिर समस्त भाजपा के लिए कठिनाई भरे हो सकते हैं। अभी लोकसभा चुनाव से कुछ ही दिन पूर्व तक अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने की सीख कर कहा था कि हम देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम बिल जिसे पास कर चूके हैं उसे पूर्णता पूरे देश में लागू करेंगे, एक देश और एक इलेक्शन, यूनिफॉर्म सिविल कोड और इस जैसे बहुत सारे कानून है जिसे या तो भाजपा ने पास करके रखा हुआ है मात्र लागू करना बाकी है, या ऐसे कानून जिनको पास करने का नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने न सिर्फ वादा किया है बल्कि उनका ख्वाब भी है। अब वैसे सारे कानून जिस पर भाजपा के अलावा एनडीए में शामिल अन्य पार्टियों ने इस लोकसभा से पहले विरोध जताया था अब वैसे समस्त अधिनियमों को पास करना या लागू करना शायद नरेंद्र मोदी अमित शाह और भाजपा के बस की बात नहीं होगी।
अभी एनडीए ने सरकार बनाया भी नहीं है की बिहार के मुख्यमंत्री और एनडीए में शामिल जदयू के मुखिया नीतीश कुमार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सवाल उठा दिया है। इस तरह यह खबर यह सामने आ रही थी कि चंद्रबाबू नायडू ने तो अमित शाह को ही गृह मंत्री के तौर पर कबूल करने से इनकार कर दिया है। अब आए दिन नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की शर्तें केंद्र के सामने रखी जाएगी जो शायद देश हित में अच्छी भी नहीं है और यदि मोदी सरकार इन दोनों की शर्तों को मानने से इनकार करेंगे तो इन दोनों को पाला बदलने में पहले से ही महारत हासिल है। और ऐसी स्थिति में कांग्रेस भी बाय फैलाकर इन दोनों के स्वागत के लिए तैयार खड़ी हुई है।
वहीं देखा जाए तो पिछले 10 सालों तक भाजपा ने जिस अंदाज में शासन चलाया है, उसके लिए नीतीश और चंद्रबाबू नायडू को बर्दाश्त करना या जेल पाना थोड़ा कठिन जरूर होगा। अब तक भाजपा ने अपने शासनकाल में जैसे चाहा वैसे किया जी बिल को चाहा पास किया जिसको चाहा रोके रखा, जिस पर चाहा ईडी और सीबीआई को लगा दिया, अब शायद भाजपा अपनी मनमानी न कर सके और इस मलाल को लेकर शायद भाजपा अपने आप में ही घूटती रहे। अंततः एक बात तो स्पष्ट है कि अब भाजपा अपने सुनहरे सपनों को इन 5 वर्षों में पूरा नहीं कर पाएगी।

Related Articles

Stay Connected

7,268FansLike
10FollowersFollow

Latest Articles