Thursday, March 28, 2024

जातीय जनगणना पर तेज हुई सियासत, नीतीश ने कहा इसका संबंध राजनीति नहीं सामाजिक है

तिरहुत डेस्क (नई दिल्ली)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को एकबार फिर से पूरे देश में जातीय जनगणना करवाने की वकालत करते हुए कहा कि यह सबके हित में है। जातीय जनगणना का संबंध राजनीति से नहीं, सामाजिक है। उन्होंने इस दौरान जनता दल (युनाइटेड) में किसी प्रकार की गुटबाजी से भी इनकार किया। पटना में मुख्यमंत्री का जनता दरबार कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। इस पत्र का हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

उन्होंने कहा, “हमलोग चाहते हैं कि जातीय जनगणाना हो जाए, यह केंद्र सरकार पर निर्भर है। यह हमलोगों की पुरानी मांग है। हम पहले भी इस संबंध में अपनी बातें रखते रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि सबको मालूम है कि वर्ष 2019 में बिहार विधानसभा और विधान परिषद् से सर्वसम्मति से इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2020 में विधानसभा से एक बार फिर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमलोगों की इच्छा है कि जातीय जनगणना हो। इसका काफी फायदा होगा। एक बार जातीय जनगणना होने से एक-एक चीज की जानकारी हो जाएगी। किस जाति की कितनी आबादी है, इसकी जानकारी होने से विकास की योजनाओं का लाभ सभी को मिलेगा। जातीय जनगणना सबों के हित में है। हमलोगों की चाहत है कि जातीय जनगणाना हो, आगे यह केंद्र सरकार का काम है।”

उन्होंने यह भी कहा कि “अगर प्रधानमंत्री समय देंगे तो हमलोग जरूर मिलकर अपनी बात कहेंगे।”

मुख्यमंत्री ने दोहराते हुए कहा, “इसका संबंध राजनीति से नहीं है, बल्कि समाज से है। सिर्फ बिहार में ही नहीं, कई और राज्यों में जातीय जनगणना को लेकर चर्चा हो रही है।”

पत्रकारों द्वारा बिहार में जातीय गणना कराने के संबध में पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, “इसको लेकर यहां सभी से बात की जाएगी। जनगणना पूरे देश की एक साथ होती है। इससे पहले जाति की गणना कर्नाटक ने एक बार किया है। अगर आवश्यकता होगी कि बिहार में जानकारी के लिए जाति की गणना की जाए तो इसको लेकर सभी से बात की जाएगी।”

एक प्रश्न के उत्तर में पार्टी में किसी भी तरह की गुटबाजी से इनकार करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू में कोई गुट नहीं है। जदयू पूरी तरह से एकजुट है।

उन्होंने कहा, “हमने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने का मन बनाया, इसके बाद आरसीपी सिंह को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। जब वे केंद्रीय मंत्री बन गए तो उन्होंने ही प्रस्ताव दिया कि ललन सिंह को अध्यक्ष बनाया जाए।”

उनके प्रस्ताव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने स्वीकार कर लिया। ऐसे में अध्यक्ष पद को लेकर कहां कोई विवाद है। उन्होंने कहा कि समता पार्टी के समय से हमलोग सभी मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “हमारी पार्टी में सबका सम्मान है।”

उन्होंने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “कुछ लोगों को छपवाने का शौक होता है तो कहीं छपवा दिया, लेकिन उन्हें ठीक से पता भी नहीं होगा। हमारे दल में कहीं कोई विवाद नहीं है।

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